कर्ज में डूबे पिता ने शहर छोड़ा, 18 साल बाद लौटे उसी के बेटे ने लोगों को बुला-बुलाकर चुकाए 55 लाख रुपए
हनुमानगढ़। कर्ज लेकर भागने वालों के किस्से तो आपने खूब सुुने होंगे, लेकिन राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के रावतसर शहर में एक अनूठा मामला सामने आया है। यहां एक पिता के सिर पर चढ़ा करीब 55 लाख रुपए का कर्ज एक बेटे ने 18 साल बाद उतार दिया।
पिता ने गांव छोड़ा तब बेटा था 12 साल का
जानकारी के अनुसार पिता ने रावतसर शहर में लोगों से लाखों का कर्ज लिया था। तब व्यापार फेल हो गया तो वे रातों-रात ही शहर छोड़कर फरार हो गए, लेकिन तब उनके 12 वर्षीय बेटे के दिल में यह बात ऐसी घर कर गई कि उसने 18 साल तक इंतजार किया और अपने पिता का सपना अपने दम पर पूरा किया। पाई-पाई जुटाई और आखिर वह दिन आ गया जब उसने 5 मई 2019 को अपने पिता का लाखों का कर्ज उसी शहर में पहुंचकर एक-एक आदमी को बुला-बुलाकर चुकाया। दरअसल, वर्ष 2001 में हनुमानगढ़ जिले के रावतसर की धानमंडी की फर्म जमालिया ट्रेडिंग कंपनी घाटा होने के कारण फेल हो गई तो इसके मालिक मीताराम रातों-रात फरार हो गया। उन्होंने व्यापारियों से एक-दो लाख रुपए करके करीब 55 लाख रुपए उधारे ले रखे थे।
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रावतसर धानमंडी आकर व्यापारियों से मिला बेटा
उस घटना के 18 साल बाद अब उसी व्यापारी का बेटा संदीप कुमार शहर में अचानक आया और व्यापार मंडल रावतसर के व्यापारियों से मिला और लाखों रुपए का कर्ज चुकाया। बड़ी बात ये है कि जब संदीप के पिता रावतसर छोड़कर गए तब वह महज 12 साल का था। उसे तो यह तक पता नहीं था कि किसको कितना कर्ज देना है, लेकिन पिता की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए उसने दिनरात मेहनत की और यह कर्ज आखिरकार चुका दिया।
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दिल्ली में व्यापारी बन गया बेटा
मीडिया से बाचतीत में वर्तमान में दिल्ली के करोबाग निवासी व्यापारी संदीप ने बताया कि कर्ज से परेशान होकर उसका परिवार रावतसर छोड़कर गया था। पिताजी नेपाल चले गए थे। वहां एक किराणे की दुकान की खोल ली। खुद संदीप वहां मोबाइल की दुकान पर नौकरी करने लगा। संदीप के अनुसार जब भी पिताजी का उदास चेहरा देखता तो मन में एक ही बात रहती कि इनका कर्ज मैं चुकाकर रहूंगा। चाहे कुछ भी हो जाए।
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मां-बाप की हो गई मौत
बकौल, संदीप मैं अक्सर पिता के पत्र और डायरी देखा करता था। रावतसर से जाने के छह साल बाद पिता का हार्ट अटैक से निधन हो गया। मां भी रीढ़ की हडडी में दर्द के कारण नहीं रहीं, लेकिन मैंने काम करना नहीं छोड़ा। मोबाइल की खरीद फरोख्त करने लगा और पैसे जुटाने शुरू किए। शुरुआत में लोगों के पैसों के लिए फोन आते, लेकिन बाद में लोगों के फोन आने भी बंद हो गए। फिर हम दोनों भाइयों ने आपसी सहयोग से पूंजी एकत्रित की और 18 साल बाद रावतसर आकर शहर की धानमंडी के व्यापारियों से पिता द्वारा लिया पूरा कर्ज चुका दिया।
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व्यापारियों ने किया सम्मानित, बोले-खुद आकर कर्ज चुकाना प्रशंसनीय कार्य
मीताराम के बेटे संदीप द्वारा खुद आकर पिता का कर्ज चुकाने पर रावतसर के व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने उसका सम्मन भी किया। व्यापार मंडल ने कृषक विश्रामगृह में संदीप जमालियां को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। इस मौके पर संदीप ने कहा कि अगर कोई भी अन्य व्यक्ति उसके पिता के पैसे मांगता है तो वह उसे चुकाएगा। इस मौके पर व्यापारी राजेश सोमाणी, साहबराम कड़वासरा, नरेन्द्र सोमाणाी, सार्दुलसिंह बिजारणिया, हरदत कस्वां, रायसिंह मील आदि मौजूद थे।
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