सैल्यूट: कॉस्टेबल गीता विश्नोई ड्यूटी के बाद घर पर बना रही मास्क, ज्योति स्ट्रीट डॉग्स के लिए बनी मसीहा
सिरोही। ये हैं राजस्थान के सिरोही जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय की क्राइम ब्रांच में ड्यूटी देने वाली गीता विश्नोई। गीता इन दिनों न केवल कोरोना संकट में अपनी ड्यूटी दे रही है, बल्कि ड्यूटी के बाद घर आने पर मास्क बनाकर जनसेवा भी कर रही है।
इसांनों को बचाना पहला धर्म
गीता विश्नोई ने बताया कि वह ऑफिस में ड्यूटी देने के बाद जब घर पहुंचती है तो घर पर अपनी सिलाई मशीन से ही हाथों से मास्क तैयार करती है, ताकि आमजन को मास्क की पूर्ति की जा सके और इस महामारी से बचाव किया जा सके। विश्नोई ने बताया कि वह अपने स्तर पर ही कपड़ा खरीदती है और जितना समय मिलता है, उसके अनुसार मास्क तैयार कर अन्य लोगों को वितरित करती है। इस समय हम सबको एकजुट होकर इस कोरोना महामारी से मुकाबला करना चाहिए।
स्ट्रीट डॉग्स के लिए मसीहा बनी ज्योति
इधर, लॉकडाउन में राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड़ शहर की हाउंसिंग बोर्ड कॉलोनी में रहने वाली ज्योति खंडेलवाल इन दिनों स्ट्रीट डॉग्स के लिए मसीहा बनी हुई है। ज्योति खंडेलवाल पीपल्स फ़ॉर एनिमल संस्था की संस्थापक हैं। जब से प्रदेश में लॉक डाउन लागू हुआ तब से ही ज्योति ने स्ट्रीट डॉग्स के लिए भोजन व्यवस्था का जिम्मा संभाल रखा है।
रोजाना 125 किलो आटे की रोटियां
रोजाना 125 किलो आटे से रोटियां बनाकर पूरे आबूरोड़ शहर में गली-गली जाकर कुत्तों को रोटियां खिलाती हैं। इसके लिए ज्योति दो-तीन भामाशाहों का भी सहयोग ले रही हैं। वहीं, 125 किलो आटे की रोटियां बनाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने वाली महिलाओं को रोजगार देकर रोटियां बनाने का काम भी दिया है।
हॉन की आवाज सुनकर आ जाते हैं स्ट्रीट डॉग्स
ज्योति खंडेलवाल के इस नेक काम में उसके परिवार के सदस्य भी जुट गए हैं। नयनेश खंडेलवाल ज्योति के छोटे भाई हैं, जो हर रोज अपनी स्कूटी पर रोटियों का थैला लेकर ज्योति को साथ में बिठाकर आबूरोड़ की गलियों में जाते हैं और स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाते हैं। लॉकडाउन के दिनों में आबूरोड शहर के कुत्तों के साथ इनका इतना गहरा रिश्ता बन गया है। नयनेश खंडेलवाल के स्कूटी का हॉर्न की आवाज़ सुनकर ही कुत्ते दूर दूर से दौड़ते हुए आते हैं। स्कूटी के चारो और खड़े हो जाते हैं।
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