Sikar Suicide : पति, पत्नी व दो बेटियों ने फांसी लगाने से पहले दिए थे ये 4 संकेत, कोई समझ ही नहीं पाया
सीकर। राजस्थान के सीकर जिला मुख्यालय पर पुरोहितजी की ढाणी निवासी हनुमान प्रसाद सैनी का पूरा परिवार बेटे की मौत के गम में इस कदर टूट गया था कि दुख-दर्द भूलकर जिंदगी की नई शुरुआत करने की बजाय मरने की तैयारियों में जुट गया था।

पूर्व प्रदेशाध्यक्ष का भतीजा था हनुमान
चार माह बाद रविवार को जब घर में 48 वर्षीय हनुमान प्रसाद सैनी, उनकी पत्नी 45 वर्षीय तारा देवी, बेटी 22 वर्षीय पूजा व 20 वर्षीय अन्नू का शव फांसी के फंदे पर लटका मिला तो हर कोई हैरान रह गया। हनुमान प्रसाद सैनी भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद मदन लाल सैनी का भतीजा था।

काश! कोई समझ पाता इनके संकेत
सीकर पुलिस की शुरुआती जांच और आस-पास के लोगों से बातचीत के आधार पर चला कि हनुमान प्रसाद सैनी के परिवार के सभी चारों सदस्यों ने मरने से पहले कई संकेत दिए थे, जिन्हें कोई समझ नहीं ही पाया कि वे जिंदगी से हारने जा रहे हैं।

संकेत नंबर एक- बहन ने मेहंदी से हाथ पर लिखा-'हम आ रहे हैं मोटू'
हनुमान प्रसाद सैनी के दो बेटियों पर बेटा अमर पैदा हुआ था। अमर पूरे परिवार का लाडला था। बहनें उसे प्यार से मोटू बुलाती थीं। बड़ी बहन पूजा ने चार दिन पहले 4 दिन पहले ही मेहंदी से अपने पर हाथ पर लिखा था 'वी आर कमिंग टू मोटू' चार दिन तक किसी परिजन व पड़ोसी की नजर पूजा के हाथ पर नहीं पड़ी। सुसाइड के बाद यह बात लोगों को पता चली।

संकेत नंबर दो- नई गाटर लगवाई, पूछा तो बोले-इस पर चार घंटियां लटकाएंगे
चार दिन पहले हनुमान ने एक मिस्त्री को बुलाकर कमरे में छत के गाटर (लोहे की मोटी रॉड) लगावाई थी। यह गाटर छत के पूरी तरह से छूने की बजाय इसमें कुछ बांधने की जगह छुड़वाई थी। ऐसे में हनुमान के छोटे भाई के बेटे युवराज ने पूछा था कि चाचा यह गाटर क्यों लगवाई है। तब हनुमान ने जवाब दिया था कि इस पर चार घंटियां लटकाएंगे। इस बात को युवराज समझ ही नहीं पाया कि चाचा किस बात की ओर इशारा कर रहे हैं।

संकेत नंबर तीन-भांजियों की शादी में नहीं गए थे
बेटे अमर की मौत को करीब चार माह बीत गए थे, मगर दिन बीतने के साथ-साथ हनुमान और उसका परिवार गम से उभरने की बजाय अवसाद में जाता जा रहा था। हनुमान की बहन मंजू का ससुराल नवलगढ़ में है। 16 फरवरी को मंजू की दो बेटियों की शादी थी। हनुमान शादी में भी नहीं गए थे। जब परिवार की लोग दो भांजियों की शादी की तैयारियों में जुटा था तब हनुमान का परिवार सुसाइड की प्लानिंग कर रहा था।

संकेत नंबर चार-छोटे से भाइयों से बोलते थे-'मैं अब नहीं जिऊंगा'
बेटे अमर की मौत के बाद हनुमान की पत्नी तारा गुमसुम रहने लगी थीं। घर से बाहर नहीं निकलती थीं। खुद हनुमान भी आस-पास के लोगों से बात नहीं करता था। अपने छोटे भाई सुरेश और घनश्याम अक्सर कहता भी था कि वह अब जी नहीं पाएगा। भाई उन्हें हिम्मत बंधाते थे, मगर वे समझ ही नहीं पाए कि भाई सच में इतनी जल्दी हिम्मत हार जाएगा।

दूधवाला आया तब पता चला
रविवार शाम को जब दूधवाला आया तो हनुमान के घर का दरवाजा बंद था। उसने आवाज लगाई। कोई जवाब नहीं आया तो दूधवाले ने घनश्याम के बेटे युवराज को फोन किया, जो अमर की मौत के बाद से हनुमान के पास ही रहता था। युवराज ने अपने पिता और चाचा को मोबाइल पर कॉल किया। मौके पर हनुमान के चाचा का लड़का कपिल सैनी पहुंचा। मैन गेट खोलकर वह अंदर गया तो देखा कि चारों फंदे पर लटके थे।

सुसाइड नोट में जताई यह आखिरी इच्छा
पुलिस को हनुमान के घर से दो पेज का सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें लिखा है कि 'मैं हनुमान प्रसाद सैनी, मेरी पत्नी तारा देवी, 2 बेटियां पूजा और अन्नू अपने पूरे होश में यह लिख रहे हैं। हमारे बेटे अमर का स्वर्गवास 27 सितंबर 2020 को हो गया था। हमने उसके बिना जीने की कोशिश की, लेकिन उसके बगैर जिया नहीं जाता। इसलिए हम चारों ने अपनी जीवन लीला खत्म करने का फैसला लिया है। अमर ही हम चारों की जिंदगी था। वही नहीं तो हम यहां क्या करेंगे। घर में किसी चीज की कमी नहीं है। जमीन है, घर है, दुकान है, नौकरी है। बस सबसे बड़ी कमी बेटे की है। उसके बिना सब बेकार है। हम पर किसी का कोई कर्ज बाकी नहीं है। प्रशासन से निवेदन है कि किसी भी परिवारवाले को परेशान न करें। ये हमारा अपना फैसला है।

भाई सुरेश को कही यह बात
दूसरा पेज भाई हनुमान के छोटे भाई को सम्बोधित करते हुए लिखा है, जिसमें कहा कि 'सुरेश हम सब का अंतिम संस्कार परिवार की तरह ही करना। कबीर पंथ की तरह मत करना। सब अपने रीति रिवाज से करना और अमर का कड़ा और उसके जन्म के बाल हमारे साथ गंगा में बहा देना है। अमर की फोटो के पास सब सामान रखा है। सुरेश मेरे ऊपर किसी का कोई रुपया-पैसा बाकी नहीं है।'