राजस्थान के इस युवक ने साथी की गर्दन मरोड़कर हत्या की, फिर बन गया डॉक्टर, जानिए पूरा मामला
सीकर। राजस्थान के सीकर स्थित निजी कोचिंग के एक छात्र ने साथी की गर्दन मरोड़कर हत्या कर दी और फिर वह डॉक्टर बन गया। सात साल पहले की घटना एक बार फिर से चर्चा में है। वजह है हत्या के आरोपी को उम्रकैद की सजा। सीकर अपर सेशन न्यायालय संख्या तीन के न्यायाधीश यशवंत भारद्वाज ने छात्र वीरेन्द्र सिंह की हत्या किए जाने के मामले में उसके साथी डॉ. मोईन खां को आजीवन कारावास की सजा व पांच हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है।
वीरेन्द्र सिंह श्रीगंगानगर के सदर थाना इलाके का रहने वाला था। आरोपी मोईन झुंझुनूं जिले के चिड़ावा के वार्ड सात का निवासी है। दोनों वर्ष 2012 में सीकर के एक छात्रावास में रहकर निजी कोचिंग सेंटर से पीएमटी की तैयारी कर रहे थे। वीरेन्द्र सिंह के पिता ने श्रीगंगानगर सदर पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया कि 29 मार्च 2012 को छात्रावास में वीरेन्द्र व मोईन खां के बीच झगड़ा हो गया था, जिसमें मोईन ने उनके बेटे की हत्या कर दी।
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उस समय मृतक वीरेन्द्र के परिजनों को हॉस्टल वार्डन भूपसिंह ने बताया था कि वीरेन्द्र की हत्या करके मोइन खां सीकर से भाग गया। हॉस्टल के अन्य छात्र योगेश कुमार व रवि ने पुलिस को दिए बयानों में बताया था कि वे सब ऊपर की मंजिल पर मेस में खाना खा रहे थे। इस दौरान वीरेंद्र व मोईन खां के बीच झगड़ा हो गया था। मोईन खां ने वीरेंद्र को अपने कमरे में ले जाकर गर्दन मरोड़कर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने 16 गवाहों के बयान करवाए और 18 सबूत पेश किए गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मृत्यु का कारण गर्दन की चोट की वजह से शॉक के कारण से होना बताया गया।
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अपर लोक अभियोजक सुभाष कुल्हरी ने बताया कि आरोपी मोईन खां को घटना के दूसरे दिन ही सीकर पुलिस ने चिड़ावा से गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद उसने पीएमटी पास कर उदयपुर के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया। एमबीबीएस करीब डेढ़ साल पहले पूरी हुई। इसके बाद पीपीपी मोड़ पर चल रहे झुंझुनूं जिले के गांव नूनिया गोठड़ा के पीएचसी में छह माह तक संविदा पर प्रैक्टिस की। पीजी में एडमिशन मिलने के चलते उसने यहां से नौकरी छोड़ दी। सीकर कोर्ट में सजा सुनाए जाने के दौरान मोईन हंस रहा था। न्यायाधीश यशवंत भारद्वाज ने टिप्पणी की है कि सजा सुनने के दौरान किसी प्रकार का पश्चाताप या ग्लानिकारी अभियुक्त के व्यवहार में दर्शित नहीं हो रही है। अभियुक्त किसी भी प्रकार के नरमी के रूख का हकदार नहीं है।