दर्दभरी कहानी उस छात्रा की जो बनना चाहती है डॉक्टर, सरकारी गलती से टूटा ख्वाब
सीकर। कविता कुमारी बेहद होनहार है। बचपन से ख्वाब था कि पढ़-लिखकर डॉक्टर बनना है। यही वजह है कि पढ़ाई मन लगाकर करती है। नतीजा यह कि कविता हर कक्षा अच्छे अंक से उत्तीर्ण की, लेकिन डॉक्टर बनने की पहली सीढ़ी पर कदम रखने से पहले ही कविता का ख्वाब टूट गया। वजह बनी सरकारी गलती।
दरअसल, हुआ यूं कि राजस्थान के सीकर जिले के फतेहपुर इलाके के नगरदास गांव निवासी कविता कुमारी ने वर्ष 2019 में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा 80 फीसदी अंक हासिल किए। पूरे परिवार का खुशी का ठिकाना नहीं रहा, लेकिन दिक्कत यह थी कि जो विज्ञान विषय कविता का पसंदीदा विषय है उसमें 43 फीसदी अंक मिले।
इस पर कविता ने आरटीआई लगाकर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से अपनी विज्ञान की कॉपी मंगवाई। कॉपी तब चला कि उसके विज्ञान में 43 नहीं बल्कि 94 अंक मिले थे, मगर दिक्कत यह हुई थी कि जब कॉपी कविता के पास पहुंची तब शिक्षा सत्र 2019-20 के तहत कक्षा 11वीं में प्रवेश लेने अंतिम तिथि नजदीक आने और विज्ञान में कम अंक के कारण कविता को विज्ञान संकाय की बजाय कला संकाय में प्रवेश लेना पड़ा। ऐसे में कविता का डॉक्टर बनने का सपना यहीं पर टूट गया।
उधर, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को जब कविता की कॉपी जांचने वाले शिक्षक की इस घोर लापरवाही का पता चला तो उस पर तीन साल तक के लिए कॉपी जांच पर प्रतिबंध लगा दिया। इधर, पुनर्मूल्यांकन में छात्रा के अंक तो बढ़ गए, लेकिन अब स्कूलों में साइंस का 60 प्रतिशत से अधिक कोर्स हो चुका। ऐसे में वह अब सब्जैक्ट भी नहीं बदल सकती।
इस मामले में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के पीआरओ राजेन्द्र गुप्ता का कहना है कि कॉपी जांच के बाद शिक्षक से जो अंकों की सूची प्राप्त हुई, उसी सूची को कम्प्यूटर में स्केन कर अंकतालिका तैयार की जाती है। शिक्षक ने उसी अंकों की सूची में त्रुटि की है। इसके चलते शिक्षक को तीन साल के लिए प्रतिबंधित किया गया है। शिक्षक की यह मानवीय त्रुटि मानकर शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई का यह कदम उठाया गया है।
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