भागीरथ सिंह बिजारणिया : जहां 20 KM पैदल चल कर जाते थे स्कूल-कॉलेज, वहीं पर अब विवि के कुलपति बने
सीकर। मिलिए इनसे। ये हैं प्रो. भागीरथ सिंह बिजारणिया। इनकी जिंदगी संघर्ष, मेहनत और कामयाबी की मिसाल है। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बुधवार को आदेश जारी कर प्रो. भागीरथ सिंह बिजारणियां को सीकर जिले के कटराथल स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय (शेखावाटी यूनिवर्सिटी) कुलपति नियुक्त किया है।
अजमेर व बीकानेर में भी रहे कुलपति
बता दें कि प्रो. भागीरथ सिंह बिजारणियां मूलरूप से राजस्थान के सीकर जिले के गांव कंवरपुरा के रहने वाले हैं। शेखावाटी विश्वविद्यालय से पहले ये प्रो. सिंह महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर और महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के भी कुलपति रह चुके हैं।
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सीकर से ही पूरी की पढ़ाई
प्रो. भागीरथ सिंह ने अपनी स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई एसके सीकर से पूरी की। गांव कंवरपुरा से सीकर पढ़ने के लिए प्रो. सिंह रोजाना बीस किलोमीटर का सफर तय किया करते थे। इनके पिता नंदाराम बिजारणियां किसान थे। खुद कम पढ़े-लिखे थे, मगर बेटे को खूब पढ़ाया। यही वजह है कि सीकर में पढ़ने वाला बेटा आज सीकर में विश्वविद्यालय का कुलपति बना है।
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साढ़े छह माह से खाली था पद
बता दें कि शेखावाटी विश्वविद्यालय में कुलपति का पद बीते छह माह से खाली चल रहा था। इसका अतिरिक्त कार्यभार श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के कुलपति प्रो. जीतसिंह संधु को दिया हुआ था। प्रो. सिंह गुरुवार को कार्यभार संभालेंगे। शेखावाटी विवि को कुलपति मिलने से यहां पर यूआईटी की ओर से जमीन मिलने, पीएचडी के कार्य और नया भवन आदि के कामों के गति मिल सकेगी।
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स्कूल-कॉलेज में टॉपर रहे थे प्रो. भागीरथ सिंह
बता दें कि प्रो. भागीरथ सिंह पढ़ाई में बहुत होशियार थे। स्कूल में अव्वल रहने के बाद कॉलेज में कला संकाय से स्नातक में भी टॉप किया। कॉलेज टॉप करने पर इन्हें वर्ष 1974 में कला संकाय फेक्ल्टी का अध्यक्ष भी बनाया गया। प्रो. भागीरथ सिंह बताते हैं कि उसी दौरान एक कार्यक्रम में राजस्थान विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. इकबाल नारायण, कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. तैला व वैज्ञानिक प्रो. बीएम जैन के साथ मंच पर बैठने का मिला था। तभी तय कर लिया था एक दिन यहीं पर पहुंचना है।
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शेखावाटी विश्वविद्यालय के कुलपति की जीवनी
शेखावाटी विवि के नए कुलपति प्रो. भागीरथ सिंह बिजारणिया का जन्म 1 दिसम्बर 1953 को सीकर के गांव कंवरपुरा में हुआ। गांव के सरकारी स्कूल स्कूल से प्रारम्भिक शिक्षा भी की। फिर आगे की पढ़ाई सीकर के एसके स्कूल-कॉलेज से पूरी की। राजस्थान विश्वविद्यालय से कॉमर्स में पीजी व मैनेजमेंट में पीएचडी की। वर्ष 1976 में राजस्थान विश्वविद्यालय में कॉमर्स डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर व वर्ष 2001 में प्रोफेसर बने। वर्ष 2013 में रिटायर हो गए।
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राजस्थान विवि में 9 साल चीफ प्रोक्टर रहे
राजस्थान विवि में 9 साल चीफ प्रोक्टर रहे। 2003 से 2006 तक डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के विभागाध्यक्ष रहे। इंडियन कौंसिल ऑफ कल्चर रिलेशन, दिल्ली के सदस्य हैं। इंडियन कौंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च नई दिल्ली के 2013 से 2016 तक एडवाइजर रहे हैं। रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन नॉर्थ स्टेट्स के 2008 से 2011 चेयरमैन रहे हैं।
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2004 में यूजीसी के लिए एक शोध भी किया
इसके साथ ही वे कई समितियों में चैयरमैन व यूएसए, कनाडा और भारत की शिक्षण समितियों के आजीवन सदस्य भी हैं। राजस्थान में अकाल पर 2004 में यूजीसी के लिए एक शोध भी किया था। उन्हें अभी तक कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मान भी मिल चुके हैं। प्रो.सिंह ने बताया कि उनके माता-पिता अनपढ़ थे।
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दसवीं की पढ़ाई के दौरान हुई शादी
सीकर के माधव स्कूल व एसके स्कूल में पढ़ाई के लिए हर दिन 20 किलोमीटर पगडंडी के रास्तों से पैदल स्कूल पहुंचते थे। यही नहीं स्कूल आने और घर जाने के बाद खेतों में काम भी करते थे। उनकी 10वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान शादी हो गई थी। मुकलावा तीन साल बाद हुआ था। शादी में पहली बार उन्होंने पेंट पहनी।