शहीद राजेन्द्र नैण : 10 साथियों को बचाकर आतंकियों को मार गिराया, अंतिम मैसेज था हैप्पी न्यू ईयर
चूरू। आज से ठीक दो साल पहले 31 दिसम्बर 2017 को राजस्थान के चूरू जिले के रतनगढ़ उपखंड के गांव गौरीसर के 26 वर्षीय बहादुर जवान राजेन्द्र नैण ने अदम्य साहस दिखाया। सामने खड़ी 'मौत' की परवाह किए बगैर राजेन्द्र नैण ने अपने दस साथियों को बचाया और आतंकियों को मार गिराया। यह जगह थी जम्मू कश्मीर के पुलवामा स्थित सीआरपीएफ का प्रशिक्षण केन्द्र।
गले के पास गोली लगने से सीआरपीएफ जवान राजेन्द्र नैण शहीद
पुलवामा के लथपुरा कैंप स्थित सीआरपीएफ के प्रशिक्षण केन्द्र की चार मंजिला इमारत में 30 दिसम्बर की रात को तीन आतंकवादी घुस आए थे। करीब 36 घंटे तक आतंकवादियों और सीआरपीएफ के जवानों के बीच मुठभेड़ चली। दो आतंकियों के ढेर हो जाने के बाद भारी गोलाबारी के बीच चूरू के बहादुर सपूत ने पहले अपने दस साथी जवानों को बचाया और फिर अटारी का दरवाजा खोलकर आगे बढ़े। इसी दौरान छिपकर बैठे तीसरे आतंकवादी ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। गले के पास गोली लगने से सीआरपीएफ जवान राजेन्द्र नैण शहीद हो गए।
कौन थे शहीद राजेन्द्र नैण
चूरू शहीद राजेन्द्र नैण का आज दूसरा शहादत दिवस है। 4 सितम्बर 1989 को चूरू के गांव गौरीसर निवासी सहीराम नैण व सावित्री देवी के घर जन्मे राजेन्द्र नैण पांच भाई-बहनों में चौथे नंबर के थे। 3 जनवरी 2015 को सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। दिसम्बर 2017 में राजेन्द्र सीआरपीएफ की 130 बी बटालियन जम्मू कश्मीर में तैनात थे। शहादत से चार साल पहले राजेन्द्र की शादी फतेहपुर उपखंड के गांव चुवास निवासी प्रियंका के साथ हुई थी। इनके साढ़े चार साल की बेटी मिष्टी है।
मरणोपरांत मिला था कीर्ति चक्र
सीआरपीएफ के ट्रेनिंग सेंटर पर हमला करने वाले आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए राजेन्द्र नैण को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था। 14 मार्च 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शहीद राजेन्द्र नैण की पत्नी पूनम और माता सावित्री देवी को कीर्ति चक्र प्रदान किया।
नए साल की शुभकामना देकर हुए शहीद
बता दें कि राजेन्द्र नैण के शहीद होने के बाद उनका एक वाट्सऐप मैसेज सोशल मीडिया में वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने दो दिन पहले ही अपने परिजनों, रिश्तेदारों और दोस्तों को नए साल 2018 की अग्रीम बधाई देते हुए हैप्पी न्यू ईयर का मैसेज किया था। शहादत से बीस दिन पहले ही राजेन्द्र गांव आया था। यहां करीब 17 दिन रुककर वापस ड्यूटी पर लौटा था।
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