स्वतंत्रता आंदोलन की कहानी : आजाद हिंद फौज के 103 साल के सिपाही की जुबानी, जब 18 दिन तक रहे भूखे...
स्वतंत्रता आंदोलन की कहानी : आजाद हिंद फौज के 103 साल के सिपाही की जुबानी
झुंझुनूं। देश आज 74वां स्वतंत्रता दिवस समारोह मना रहा है। यह आजादी हमें उन स्वतंत्रता सेनानियों की बदौलत मिली, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बगैर अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया और उन्हें भारत छोड़ने को मजबूर किया।
21 साल की उम्र में ज्वाइन की आजाद हिंद फौज
ऐसे ही एक स्वतंत्रता सेनानी हैं सेडूराम कृष्णियां। ये राजस्थान के झुंझुनूं जिले के गांव बुडाना के रहने वाले हैं। जीवन के 103 बसंत देख चुके सेडूराम के जेहन में स्वतंत्रता संग्राम का हर एक लम्हा याद है। सेडूराम ने बताया कि 4 सितंबर 1990 को उनकी उम्र करीब 21 साल की थी। तब ये आजाद हिंद फौज की बटालियन दी राजपूताना में राइफन मैन के रूप में भर्ती हो गए थे। भर्ती होने के कुछ दिन बाद से ही देश से बाहर रहना पड़ा।
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19वें दिन मिली सिर्फ ब्रेड व चाय
फ्रांस द्वारा लीबिया में करीब पांच हजार सैनिकों के साथ तीन साल तक कैद कर यातनाएं दी गई। 18 दिन तक भूखा प्यासा रहना पड़ा। 19वें दिन सिर्फ ब्रेड और चाय मिली। कृष्णियां की नेताजी सुभाष चंद्र बोस से पहली बार मुलाकात जर्मनी में हुई। लीबिया में कैद सिपाहियों को नेताजी बोस ने ही छुड़वाया था। इसके बाद बहादुरगुढ़ कैंप से उन्हें कर दिया गया था।
परिवार की सुध ले सरकार
सेडूराम कृष्णियां बताते हैं कि स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी करने के चलते पूरा जीवन देश को समर्पित किया। अविवाहित रहे। अब 103 साल की उम्र में उनकी देखभाल भाई के बेटे ओमप्रकाश का परिवार कर रहा है। ओमप्रकाश की पत्नी सुमित्रा देवी, बेटी स्नेहा, जिया, कोमल एवं बेटा शुभम उनके स्वास्थ्य का निरंतर ख्याल रख रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार उनकी देखभाल करने वाल परिजनों की सुध लें और उनको सुविधाएं मुहैया करवाए।
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