Ruma Devi अमेरिका में देंगी लेक्चर, जानिए बाड़मेर की 8वीं पास इस महिला को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने क्यों बुलाया?
बाड़मेर। राजस्थान के बाड़मेर जिले के गांव मंगला बेरी की रूमा देवी को हार्वर्ड विश्वविद्यालय अमेरिका से बुलाया आया है। 15 से 16 फरवरी 2020 को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित 17वीं वार्षिक इंडिया कांफ्रेस में रूमा देवी बतौर वक्ता आंमत्रित की गई हैं। कांफ्रेस में रूमा देवी करीब एक हजार शिक्षाविदों, छात्रों और युवा उद्यमियों से मुखातिब होंगी। यह दो दिवसीय सम्मेलन भारत से जुड़े समकालीन विषयों पर संवाद, परिचर्चा और लोगों को जोड़ने के दुनिया के सबसे बड़ों मंचों में से एक है। इसमें दुनियाभर की जानी मानी हस्तियां भी हिस्सा लेंगी।
रूमा देवी से खास बातचीत
वन इंडिया हिंदी से खास बातचीत में रूमा देवी ने बताया कि हावर्ड विश्वविद्यालय 7 दिसम्बर को पत्र के जरिए उन्हें इंडिया कांफ्रेस में भारत की महिलाएं : नेता, प्रभावशाली व्यक्ति और संबल विषय पर लेक्चर के लिए आमंत्रित किया है। यह उनके लिए सबसे बड़ी गर्व की बात है कि राजस्थान के किसी पिछड़े इलाके की महिला को इतने बड़े मंच से सम्बोधन का अवसर मिलने वाला है। रूमा देवी बताती हैं कि यूं तो जर्मनी, श्रीलंका व मलेशिया समेत कई देशों की यात्राएं कर चुकी हूं, मगर पहले तो सिर्फ राजस्थान के हस्तशिल्प उत्पादों की प्रदर्शनी के चलते विदेश जाना हुआ था, मगर अब पहली बार राजस्थान की आवाज बनकर अमेरिका जाऊंगी।
8वीं तक पढ़ी रूमा देवी ने बदल दी 75 गांवों की 22 हजार महिलाओं की जिंदगी, जानिए कैसे?
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा रूमा देवी को बुलाने की वजह
राजस्थान में रूमा देवी संघर्ष, हिम्मत और कामयाबी की मिसाल है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित बाड़मेर के बेहद पिछड़े गांव मंगला बेरी की रूमा देवी वर्ष 2019 में देशभर में चर्चित शख्सियत भी रही हैं। पहले विश्व महिला दिवस 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों नारी शक्ति अवार्ड मिला। फिर जुलाई में रूमा देवी को डिजायनर ऑफ द ईयर 2019 का अवार्ड से नवाजा गया और सितंबर 2019 में रूमा देवी कौन बनेगा करोड़पति के कर्मवीर एपिसोड में भी रूमा देवी नजर आईं। केबीसी में 12 सवालों के जवाब देकर साढ़े बारह लाख रुपए जीते।
रूमा देवी 22 हजार महिलाओं को दे रही हैं रोजगार
बाड़मेर की रूमा देवी की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर, जैलसमेर और बीकानेर के 75 गांवों की 22 हजार महिलाओं को रोजगार मुहैया करवा रही हैं। राजस्थान के हस्तशिल्प उत्पादों के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही रूमा देवी के नवाचारों के चलते इन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। रूमा देवी से जुड़े समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए कपड़ों की डिमांड इंटरनेशनल बाजार में भी बढ़ती जा रही है। लंदन, जर्मनी, सिंगापुर और कोलंबो के फैशन वीक्स में भी उनके उत्पादों का प्रदर्शन हो चुका है।
कौन हैं रूमा देवी, क्या है इनका संघर्ष
वर्ष 1988 में बाड़मेर के गांव रावतसर में खेताराम व इमरती देवी के घर जन्मीं रूमा देवी 7 बहन व एक भाई में सबसे बड़ी हैं। महज पांच साल की उम्र में मां इमरती देवी की मौत के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली। रूमा देवी अपने चाचा के पास रहकर पली-बढ़ी। गांव के सरकारी स्कूल से आठवीं तक की शिक्षा पाई। उस समय गांव में दस किलोमीटर दूर से बैलगाड़ी पर पानी भरकर भी लाना पड़ता था।
जीवीसीएस एनजीओ की अध्यक्ष हैं रूमा देवी
17 साल की उम्र में बाड़मेर जिले के गांव मंगला बेरी निवासी टिकूराम के साथ रूमा की शादी हुई। इनके एक बेटा है लक्षित। रूमा देवी की जिंदगी में वर्ष 1998 में उस वक्त नया मोड़ आया जब ये ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान बाड़मेर (जीवीसीएस) नाम के एनजीओ से जुड़ी। यह एनजीओ समूह बनाकर राजस्थानी हस्तशिल्प जैसे साड़ी, बेडशीट, कुर्ता समेत अन्य कपड़े तैयार करता है। रूमा देवी के कौशल, काम को लेकर लगन और मेहनत के चलते इस एनजीओ से 22 हजार महिलाएं जुड़कर रोजगार पा रही हैं। वर्तमान में रूमा देवी ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान बाड़मेर की अध्यक्ष हैं।