कन्हैया पारीक: किसान का बेटा 3 बार फेल होने के बाद बना द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती का टॉपर
चूरू। राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर (आरपीएससी) ने सोमवार देर रात द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 (अंग्रेजी) का परिणाम घोषित कर दिया है। चूरू जिले की तारानगर तहसील के गांव बुचावास के कन्हैया लाल पारीक ने पूरे राजस्थान में पहला स्थान प्राप्त किया है। वन इंडिया हिंदी से खास बातचीत में कन्हैया लाल पारीक ने छोटे से गांव बुचावास में पैदा होकर राजस्थान टॉपर बनने तक का वो सफर बयां किया, जिसमें गरीबी, असफलता और बुलंद हौसलों के दम मुकाम हासिल करना है।
दो निजी स्कूलों में पढ़ाया
कन्हैया लाल ने 500 में से 415 अंक हासिल कर राजस्थान द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2018 परीक्षा (अंग्रेजी) टॉप किया है। सरकारी नौकरी लगने से पहले कन्हैया गांव बुचावास में वीडन एकेडमी और सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सैकंडरी स्कूल में बाहरवीं तक के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाया करते थे। साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करते रहे।
SIKAR : भीख मांगने वाले बच्चों के लिए भगवान से कम नहीं शैतान सिंह कविया, पेंशन के पैसों से पढ़ा रहे
इन तीन भर्तियों में मिली असफलता
ऐसा नहीं है कि कन्हैया पारीक को पहली बार में सफलता हासिल हो गई। कन्हैया बताते हैं कि अब तीन बार शिक्षक भर्ती परीक्षाओं असफल रहा हूं। वर्ष 2016 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक की दो भर्तियों में भाग्य आजमाया था, मगर दोनों में ही कम अंतर से रह गया था। इसके बाद 2018 में तृतीय श्रेणी शिक्षक की एक भर्ती में चयन नहीं हो पाया था।
अभी बाड़मेर में हैं कार्यरत
कन्हैया लाल ने बताया कि तीन बार लगातार असफल रहने के बाद भी मेहनत और उम्मीद नहीं छोड़ी। 2018 में चौथी बार परीक्षा दी और इस बार सरकारी शिक्षक बनने सपना पूरा हो गया। अप्रेल 2019 में बाड़मेर जिले के धोरीमन्ना के गांव भीमथल के जाखड़ों की ढाणी स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में तृतीय श्रेणी शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। अब द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 में चयन हो गया।
असफलताओं ने मुझे हिम्मत दी
कन्हैया ने बताया कि शुरुआत की तीनों भर्तियों में मैं कुछ प्वाइंट से ही रहा था। मेरे सारे दोस्तों का चयन हो गया था। एक बारगी तो मैं काफी निराश हो गया था। मन करता था कि सरकारी शिक्षक बनने का ख्वाब छोड़कर कोई प्राइवेट नौकरी कर लूं, मगर परिवार और पत्नी का पूरा साथ मिला। सबने मुझे मेहनत करते रहने के लिए प्रेरित किया। नतीजा हम सबके सामने है।
कन्हैया लाल पारीक का परिवार
चूरू जिला मुख्यालय से 49 किलोमीटर दूर गांव बुचावास के ओमप्रकाश पारीक व रतनादेवी के घर 15 अक्टूबर 1991 को जन्मे कन्हैया पारीक मुफलीसी, हिम्मत और मेहनत की मिसाल हैं। तीन भाई-बहन में सबसे बड़े कन्हैया की शादी 8 फरवरी 2013 को रतनगढ़ तहसील के गांव दाउदसर की बबीता के साथ हुई। इनके एक बेटा है। छोटा भाई अशोक सिलवासा की एक निजी कम्पनी में अकाउंटेंट है। बहन कविता एमए बीएड करने के बाद प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रही है। पिता पहले विदेश में काम करते थे। वर्तमान में गांव में खेती करते हैं।