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राजेन्द्र कुमार बुरड़क : 10 साल में 5 बार सरकारी नौकरी, RAS में 3 बार हुए फेल, फिर बने DSP

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सीकर। एक बार सरकारी नौकरी लगने के बाद ज्यादातर लोग उसी में जिंदगी खपा देते हैं। ऐसे युवाओं की भी कमी नहीं, जो किसी प्रतियो​गी परीक्षा में फेल हो जाएं तो दुबारा तैयारी करने की हिम्मत ही नहीं कर पाते हैं। इन दोनों ही मामलों को मात देती है राजेन्द्र कुमार बुरड़क की कहानी।

गांव सवाई लक्ष्मणपुरा के हैं राजेन्द्र कुमार बुरड़क

गांव सवाई लक्ष्मणपुरा के हैं राजेन्द्र कुमार बुरड़क

राजस्थान के सीकर जिले के रामगढ़ शेखावाटी के नजदीक के गांव सवाई लक्ष्मणपुरा निवासी राजेन्द्र कुमार बुरड़क ने कमाल कर दिखाया। एक नहीं बल्कि पांच बार सरकारी नौकरी लगे। इनमें से चार नौकरी सिर्फ इसलिए छोड़ दी कि जो टारगेट तय किया वहां तक नहीं पहुंचे। इनका लक्ष्य था राजस्थान प्रशासनिक सेवा में जाने का। लक्ष्य हासिल कर लिया, मगर उससे पहले तीन बार असफल रहे। हर बार की असफता से खुद में सुधार लाते गए और वर्तमान में बतौर डीएसपी जयपुर में प्रशिक्षण ले रहे हैं।

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 फुलेरा में हुई राजेन्द्र कुमार बुरड़क की पढ़ाई

फुलेरा में हुई राजेन्द्र कुमार बुरड़क की पढ़ाई

राजेन्द्र कुमार बुरड़क रहने वाले तो सीकर जिले के हैं, मगर इनकी पढ़ाई जयपुर के फुलेरा में हुई। पिता हरफूल सिंह की सरकारी नौकरी के चलते राजेन्द्र कुमार बुरड़क उनके साथ फुलेरा ही रहते थे। वर्तमान में इनका परिवार सीकर में रह रहा है। 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद ही राजेन्द्र का रुझान प्रतियोगी परीक्षाओं की ओर हो गया था। शायद यही वजह थी कि ये कॉलेज में बीए के नियमित छात्र के रूप में फार्म नहीं भर सके। फिर स्वयंपाठी के तौर पर बीए की।

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इन पदों पर लगी राजेन्द्र की नौकरी

इन पदों पर लगी राजेन्द्र की नौकरी

1. वर्ष 2007 में राजेन्द्र कुमार बुरड़क तृतीय श्रेणी शिक्षक के रूप में नौकरी लगी। प्रदेशभर में 226 रैंक हासिल की थी।
2. सरकारी शिक्षक बनने के बाद भी राजेन्द्र बुरड़क ने तैयारी जारी रखी और इस बार वर्ष 2010 में शिक्षा विभाग में व्याख्याता बने।
3. दो बार शिक्षक के रूप में चयन होने के बाद वर्ष 2013 में राजेन्द्र बुरड़क ने राजस्थान पुलिस में बतौर एसआई चुने गए।
4. 2013 में ही राजेन्द्र कुमार ने फिर से शिक्षा विभाग में प्रधानाध्यापक के रूप में नौकरी हासिल की।
5. राजेन्द्र कुमार का सपना अफसर बनने का था। इसलिए चार बार नौकरी लगने के बाद भी अधिक मेहनत की और वर्ष 2016 में आरएएस परीक्षा में 70वीं रैंक हासिल की।

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दिन में बच्चों को पढ़ाते रात को खुद पढ़ते

दिन में बच्चों को पढ़ाते रात को खुद पढ़ते

राजेन्द्र कुमार बुरड़क ने दस साल तक प्रतियोगी परीक्षाओं की जमकर तैयारी की। चार में से तीन बार शिक्षक की नौकरी लगी। ऐसे में दिन में सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाते और रात को खुद आरएएस बनने की तैयारी करते थे। पहली बार आरएएस के साक्षात्कार तक पहुंचे। उसके बाद दो बार तो साक्षात्कार तक भी नहीं पहुंचे। तीन बार असफल रहने के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और चौथी बार में आरएएस बनने सफल रहे। राजस्थान पुलिस सेवा में जाने का मौका मिला।

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 आरपीएस राजेन्द्र कुमार बुरड़क का परिवार

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वन इंडिया हिंदी से बातचीत में बताया कि उनके पिता हरफूल सिंह ग्राम सेवक पद से रिटायर हो चुके हैं। बड़ा भाई रामसिंह आई सर्जन हैं। वर्तमान में सीकर के नेत्र अस्पताल में कार्यरत हैं। 2009 में राजेन्द्र कुमार बुरड़क की शादी विमला देवी से हुई। विमला देवी हाउस वाइफ हैं। राजेन्द्र कुमार बुरड़क बताते हैं कि सफलता खुद की मेहनत पर निर्भर करती हैं। अगर लक्ष्य तय करके उसी दिशा में मेहनत की जाए तो कोई भी सफल हो सकता है। बीच में अगर कोई और नौकरी मिल जाए तो भी अपने लक्ष्य से पहले नहीं रुकना चाहिए। यही वजह है कि मैं दस साल में 4 बार लगी नौकरी के बावजूद तैयारी करता रहा।

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English summary
rajendra kumar burdak Sikar Journay teacher to Rajasthan Police DSP
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