Ayodhya Ram Temple : अध्योध्या में राम मंदिर बनाने के लिए राजस्थान से सैकड़ों ट्रकों में पहुंचे खास पत्थर
सिरोही। कई दशकों से चला आ रहा अयोध्या भूमि विवाद शनिवार को खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए रामजन्म भूमि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया। अयोध्या विवाद में फैसला आने के साथ ही देश में एक बार फिर से राम मंदिर निर्माण सुर्खियों में है। ऐसे में राजस्थान के सिरोही व भरतपुर जिले का जिक्र भी लाजिमी है। क्योंकि करीब दो दशक पहले सिरोही जिले के पिंडवाड़ा और इसके आस-पास के गांवों में तराशे गए भरतपुर के पत्थर ही राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या भेजे गए हैं।
राम मंदिर में लगेगा भरतपुर के बंसी पहाड़पुर का पत्थर
पिंडवाड़ा स्थित सोमपुरा मोर्बल इंडस्ट्री के किरण राजपुरोहित ने बताया कि सिरोही जिले के गांव पिंडवाड़ा, अजारी, औजला के कारीगर पत्थरों को तराशने के मामले में देशभर विशेष पहचान रखते हैं। यही वजह है कि वर्ष 1990 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियों के लिए राजस्थान के भरतपुर जिले के बंसी पहाड़पुर के सेंड स्टोन (विशेष पत्थर) को तराशने का काम सिरोही के पिंडवाड़ा व इसके आस-पास के गांवों के कारीगरों से करवाया गया था। पत्थर तराशने का काम यहां के कारीगरों का पुस्तैनी है।
250 से ज्यादा ट्रकों में गए पत्थर
किरण राजपुरोहित की मानें तो पींडवाड़ा में पत्थरों को तराशकर अध्योया भेजने का सिलसिला वर्ष 1990 में शुरू हुआ था, जो वर्ष 1998 तक चला। इसके बाद वहां कोई पत्थर नहीं भेजा गया। उन आठ सालों में पींडवाड़ा से 250 ज्यादा ट्रकों में एक लाख घन फीट से अधिक तराशे हुए पत्थरों को अध्योध्या पहुंचाया गया।
राजस्थान से ही क्यों गए पत्थर
राजस्थान के 'सेंड स्टोन' पत्थर का रंग सदियों तक बरकरार रहता है। इसका इस्तेमाल मंदिर या अन्य किसी विशाल निर्माण कार्यों में किया जाता है। यह पत्थर भरतपुर के बंसी पहाड़पुर में पाया जाता है। यहां से निकाले गए पत्थरों को सबसे पहले सिरोही के पिंडवाड़ा में पहुंचाया गया। फिर यहां पर कारीगिरी के बाद अध्योध्या भेजा, जो वहां कारसेवकपुरम में रखे हुए हैं। इन विशाल पत्थरों पर कारीगिरी होने के बाद सिर्फ राम मंदिर निर्माण के दौरान इन्हें फिट ही किया जाना है। इनके अलावा राम मंदिर के करीब 10 दरवाजों की सफेद संगमरमर की चौखट राजस्थान के मकराना में तैयार करवाई गई है।
कई बार पिंडवाड़ा आए अशोक सिंघल
किरण पुरोहित के अनुसार कारसेवा के समय विश्वहिन्दू परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष दिवगंत अशोक सिंघल करीब 10 बार सिरोही आए थे। वे खुद यहां की पत्थरों की इकाइयों पर पत्थरों को हाथों से तराश रहे कारीगरों की कारीगिरी को देखने के बाद ही पिंडवाड़ा से अयोध्या में पत्थर ले जाने का फैसला किया था।
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