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नशेड़ी नीलगाय: अफीम का नशा करने के बाद खेतों में दिखाती है 'स्टंट', किसान परेशान, देखें VIDEO

By प्रवेश परदेशी
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Pratapgarh News, प्रतापगढ़। वे कभी खेत में लौटने लग जाती हैं। कभी अचानक तेज रफ़्तार में दौड़ने लगती हैं तो कभी गड्ढे या बिना मुंडेर के कुएं में छलांग लगा देती हैं। टांगे तुड़वा लेती हैं। वैसे तो किसी जंगली जानवरी के लिए यह व्यवहार सामान्य बात है, मगर यहां तो अफीम के नशे में धुत हो जाने के बाद जंगली जानवर नीलगाय ऐसा करती हैं।

किसानों की मेहनत पर फेर रही पानी

किसानों की मेहनत पर फेर रही पानी

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के अफीम काश्तकार (Poppy cultivation in Pratapgarh Rajasthan) इन दिनों नीलगाय से बेहद परशान हैं। नशेड़ी नीलगाय अफीम उगाने वाले किसानों की मेहनत पर पानी फेर रही हैं। यह समस्या एक-दो जगह नहीं, जिलेभर में देखने को मिल रही है। इस वजह से किसानों को दिन-रात अपने खेतों की विशेष रखवाली करनी पड़ रही है।

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हजारों हैक्टेयर में बोई अफीम की फसल

हजारों हैक्टेयर में बोई अफीम की फसल

प्रतापगढ़ जिले में इस बार 7 हजार 332 किसानों ने 769 हैक्टेयर में अफीम बोई है। इस समय अफीम के पौधों पर सफेद फूलों पर डोडे आने लगे हैं, जिसमें चीरा लगाकर अफीम निकाली जा रही है। प्रतापगढ़ में अफीम को काला सोना कहा जाता है, लेकिन इस काला सोना पर नीलगाय का ख़तरा मंडरा रहा है। इनसे बचने के लिए किसानों को दिन-रात फसल के पास पहरा देना पड़ता है। कई बार किसानों को किराए पर चौकीदार रखने पड़ते हैं तो कई किसान काफी पैसा खर्च कर फसल के चारों ओर तार की फेंसिंग कर उसमें करंट प्रवाहित कर देते हैं, ताकि नीलगाय दूर रहे।

इंसान की तरह नीलगाय को भी चढ़ता है नशा

इंसान की तरह नीलगाय को भी चढ़ता है नशा

बताया जाता है कि नीलगाय को अफीम बहुत पसंद होती है। जिस तरह इंसान पर अफीम का नशा चढता है, उसी तरह से अफीम का नशा नीलगाय को भी चढ़ता है। इसीलिए नीलगाय अनजाने में इसकी आदी हो जाती है। नीलगाय अफीम के पौधों पर लगे डोडो को खाकर उसमें बंद अफीम का सेवन करती हैं, लेकिन इससे किसानो को काफी नुकसान हो जाता है। अफीम का उत्पादन कम हो तो लाइसेंस रद्द होने का खतरा भी सामने होता है।

तारबंदी में करंट भी लगाते हैं किसान

तारबंदी में करंट भी लगाते हैं किसान

नीलगाय को अपने अफीम के खेतों से दूर रखने के लिए किसान तरह-तरह के उपाय भी करते हैं। नीलगाय को डराने के लिए अफीम के खेत के चारों और चमकीली रंग-बिरंगी पट्टी बांध देते हैं। खेत पर बड़े-बड़े आकार के वजूके टांग देते हैं। रात को कई बार पटाखे छोड़कर उसकी आवाज से भी नीलगाय को भगाने का प्रयास करते हैं।

क्या है नीलगाय

क्या है नीलगाय

नीलगाय वन्यजीव है। इसे स्थानीय भाषा में रोजड़ा भी कहा जाता है। नीलगाय कद में लगभग घोड़े जितनी होती है। बहुत ही शक्तिशाली होती है। तेजी से भागती है। अफीम की फसलों में नुकसान के बावजूद किसान नीलगाय को मारते नहीं, इसे गाय की तरह पूरा सम्मान देते हैं। नीलगाय के नाम में ‘गाय' शब्द जरूर जुड़ा है, लेकिन यह मृग प्रजाति का जंतु है।

शिकारी जानवर हो रहे कम

शिकारी जानवर हो रहे कम

शिकारी जानवरों की कमी के कारण प्रतापगढ़ के वनों में नील गाय की संख्या काफी बढ़ गई है। यहां शिकारी जानवर तेंदुआ ही है, जो नीलगाय की बढ़ती संख्या को संतुलित कर सकता है। लेकिन वन क्षेत्रों में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण इसकी संख्या काफी कम रह गई है। इस शिकारी तेंदुए के कम होने से नील गाय की सख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। और आज हालत यह हो गई है कि किसानों के लिए यह बड़ी मुसीबत बन गई है। अब भी वनक्षेत्रों में बढ़ते अतिक्रमण को रोका जाए तो तेंदुए की संख्या फिर से बढ़ सकती है। तेंदुओं की संख्या बढ़ जाती है, तो नील गाय की बढ़ती संख्या में लगाम लग सकती है और किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।

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English summary
Rajasthan's Pratapgarh Farmers of Poppy cultivation are very upset with Nilgai
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