राजस्थान के 700 सालों से इस जाति ने नहीं बनाया रक्षाबंधन का त्योहार
जैसलमेर। आज पूरा हिन्दुस्तान रक्षाबंधन का त्योहार मना रहा हैं, वहीं राजस्थान में एक ऐसी जाति है जो रक्षाबंधन का त्योहार बलिदान दिवस के रूप में मनाती है। पालीवाल समाज के लोग रक्षाबंधन के पर्व को बलिदान दिवस के रुप में मनाती है। 700 साल पहले श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन एक मुगल शासक ने पालीवाल समाज के हजारों लोगों का नरसंहार किया था। पालीवाल समाज शहीदों को दीप दान कर श्रद्धांजलि दी गई।
जानकारी के अनुसार, पालीवाल ब्राहमण आदि गौड़ ब्राहमण के रुप में जाने जाते थे। बाद में पाली में निवास करने के बाद इनकी पहचान पालीवाल ब्राहमण के रुप में होने लगी, लेकिन इन सबके बीच पूरे देश में फैले लाखों पालीवाल ब्राहमण रक्षा बंधन का त्यौहार नहीं मनाते। इस दिन वे अपने पूर्वजों को याद करते है और उनका तर्पण करते हैं। पालीवाल समाज के लोगों की मानें तो पालीवाल समाज के लोग पहले काफी धनवान व साधन संपन्न होते थे।
इनकी पहचान काफी मेहनतकश लोगों में होती थी, इन सबके बीच आज से 700 साल पहले दिल्ली के तत्कालीन मुगल शासक फिरोह शाह द्वितीय द्वारा अपनी सेना के साथ पाली क्षेत्र में निवास कर रहे इन पालीवाल ब्राहमणों को लूटपाट के उद्देश्य से इन पर जबरदस्त हमला करते हुए इनका नरसंहार किया। इस घटना में कई लोग मारे गए थे और आक्रमणकारियों ने लूट खसोट की थी।