गरीब सुमन-हीरालाल के पैदा हुई 2 बेटी, दोनों बहनें बनी नेशनल प्लेयर, पदकों से भर दिया घर, VIDEO
Kheenvsar Nagaur News in Hindi खीवंसर (नागौर)। यह उदाहरण है गरीबी को मात देकर बुलंदियां छू लेने का। छोटी सी ढाणी से निकलकर नेशनल चैम्पियन बनने और घर को पदकों से भर देने का। जज्बा, हौसला और गर्व करने वाली यह पूरी कहानी जाननी है तो चले आईए राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर उपखण्ड। यहां की सारणों की ढाणी की दो बेटियों ने वो कर दिखाया जो अक्सर दो बेटे भी नहीं कर पाते हैं।
ढाणी में पली-बढ़ी ये बेटियां नेशनल प्लेयर हैं और इनकी कामयाबी की पीछे के सबसे बड़ी ताकत मां सुमन देवी। दिव्यांग सुमन और लकवाग्रस्त हीराराम के दो ही बेटी पैदा हुई। दोनों ही खरा 'सोना' निकली और कमाल कर दिखाया। तभी तो सुमन और हीरा गर्व से कहते हैं 'म्हारी छोरियां छोरों से कम है के'।
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नागौर की खिलाड़ी प्रकाश चौधरी व सुंदर चौधरी
बता दें कि नागौर के खींवसर उपखण्ड की सुथारों की ढाणी की खिलाड़ी प्रकाश चौधरी ( Prakash Choudhary ) हॉकी की नेशनल लेवर की प्लेयर है और छोटी बहन सुंदर चौधरी ( Sundar Choudhary ) शॉट पुट और जैवलिन थ्रो की ना सिर्फ राजस्थान चैंपियन है, बल्कि नेशनल लेवल की भी मशहूर खिलाड़ी के रूप में पहचान रखती है।
मेरी तो बेटियां ही बेटे के समान हैं-सुमन
Hindi.Oneindia.Com ने 12 मई को मदर्स डे के मौके पर सुमन देवी से बेटियों की कामयाबी पर बात की तो जवाब मिला कि भगवान ने मुझे बेटा नहीं दिया। सिर्फ दो बेटियां दी, मगर मेरी दोनों बेटियां बेटों से कम नहीं हैं। दोनों की बेटों की तरह परवरिश की है। इनके बढ़ते कदम कभी नहीं रोके। पढ़ने-लिखने और खेलने का खूब अवसर दिया, नतीजा, आज हमारी पहचान प्रकाश व सुंदर के मां-बाप के रूप में होती है, जो गर्व करने लायक है।
नागौर का नाम रोशन किया
पिता हीरालाल भले ही लकवा पीड़ित हैं, लेकिन दोनों बेटियों की कामयाबी उनके चेहरे पर हमेशा दिखाई देती है। वे अपनी आधी-अधूरी आवाज में बड़े खुशी वाले अंदाज में बताते हैं कि उनकी बेटियों ने उनका ही नहीं बल्कि नागौर जिले का नाम राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया है। हीरा लाल ने बड़ी बेटी ने खेल को चूना तो शुरुआत में हमें अजीब लगा, मगर उसके साथ-साथ तो छोटी ने भी खेल में कमाल कर दिखाया।
हॉकी खिलाड़ी प्रकाश चौधरी, खींवसर नागौर
प्रकाश चौधरी का कहना है कि मां-बाप ने तमाम तरह की परेशानियों के बावजूद उनकी पढ़ाई और खेल को जारी रखने दिया। कभी किसी बात की कमी नहीं आने दी। हमेशा उनकी हौसला अफजाई करते रहे। प्रकाश स्कूल टीम की नेशनल प्लेयर रही है। उसके बाद बीकानेर यूनिवर्सिटी की टीम में रही। सफर यहीं नहीं थमा और वे सीनियर वर्ग के ऑल इंडिया चैंपियनशिप में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुकी है।
नागौर की सुमन चौधरी ने 16 बार खेला नेशनल
सुंदर चौधरी बताती है कि पिता हीरालाल और मां सुमन ने कभी उनको हतोत्साहित नहीं किया बल्कि वे उन्हें पढ़ाई और खेल के लिए प्रोत्साहित करते रहे। इन्हीं की दुआओं का नतीजा है कि शॉट पुट और जैवलिन थ्रो की 16 बार की नेशनल प्रतियोगिताएं खेल चुकी हूंं। आठ बार स्टेट लेवल चैंपियन भी रही हूं। सुंदर चौधरी का कहना है कि उनका लक्ष्य है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करें और नागौर या राजस्थान ही नहीं बल्कि भारत का नाम दुनिया में रोशन करें।
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