राजस्थान : IAS की पत्नी को हराकर सरपंच बनीं MSC की 22 वर्षीय छात्रा वर्षा टांक, जश्न में डूबा गांव ज्ञानगढ़
भीलवाड़ा। राजस्थान पंचायती राज चुनाव 2020 में एक तरफ जहां सीकर जिले में 97 वर्षीय विद्या देवी को सरपंच चुना गया है। वही, भीलवाड़ा जिले के ज्ञानगढ़ गांव के लोगों ने 22 साल की एक युवती वर्षा टांक के हाथ में गांव की बागडोर सौंपी है। वर्षा टांक राजस्थान सरपंच चुनाव 2020 के सबसे कम उम्र के सरपंचों में से एक है।
सरपंच वर्षा टांक का परिवार
जानकारी के अनुसार भीलवाड़ा जिले के करेड़ा की करेड़ा की ज्ञानगढ़ ग्राम पंचायत से 22 साल की वर्षा टांक ने सरपंच का चुनाव जीता है। वर्षा के पिता कन्हैया लाल टांक ज्ञानगढ़ स्कूल में लेक्चरर हैं। वर्षा के एक भाई और दो बहन हैं। सबसे बड़ा भाई अभिषेक समाज सेवा से जुड़ा है। दूसरी नंबर की वर्षा है। वर्षा अब उदयपुर में एमएससी की छात्रा होने के साथ-साथ गांव की सरपंच है। वर्षा की दोनों बहन सुरभि और जानवी भी वर्षा के साथ उदयपुर में पढ़ाई करती हैं। मां सज्जन देवी हाउसवाइफ हैं।
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वर्षा का मुकाबला पूर्व सरपंच से हुआ
बता दें कि ज्ञानगढ़ गांव में 22 जनवरी को हुए दूसरे चरण के मतदान में वर्षा टांक ने आईएएस महेंद्र पाल गुर्जर की पत्नी लक्ष्मी देवी को हराया। लक्ष्मी देवी भी ज्ञानगढ़ की सरपंच रह चुकी है। वर्षा से पहले लक्ष्मी देवी सरपंच थीं। सरपंच चुनाव 2020 में वर्षा के लिए लक्ष्मी देवी के सामने जीतना बड़ी चुनौती था। पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति के जरिए समाजसेवा का जज्बा रखने वाली वर्षा ने 206 वोटों से लक्ष्मी देवी को हरा दिया। वर्षा की जीत पर गांव ज्ञानगढ़ में आतिशबाजी की गई।
बालिका शिक्षा को देंगे बढ़ावा
गांव ज्ञानगढ़ की सरपंच चुने जाने के बाद वर्षा टांक ने कहा कि स्वच्छता व पेयजल के मुद्दे को लेकर वह काम करेंगी। गांव में बेटियों की पढ़ाई लिखाई का स्तर सुधारने में भी उनका जोर रहेगा। वर्षा कहती है कि उसकी राजनीति में आने की कोई दिलचस्पी नहीं थी, मगर अपने गांव ज्ञानगढ़ से नशाखोरी और अशिक्षा जैसी समस्याओं को खत्म करने के लिए सरपंच चुनाव में हिस्सा लिया।
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206 छह वोटों से जीती
ग्रामीणों की मानें तो उनके गांव में चुनाव से पहले अधिक वोट पाने के लालच में शराब बांटने का चलन था, लेकिन वर्षा ने गांव वालों को साफ कह दिया था। वह वोटों के लिए ऐसा बिल्कुल नहीं करेंगी। वर्षा और लक्ष्मी के बीच सीधा मुकाबला था। पूर्व सरपंच लक्ष्मी देवी को 1246 जबकि पहली बार चुनाव मैदान में उतरी वर्षा को 1452 मत मिले। वर्षा ने 206 वोट से जीत दर्ज की। इसके बाद पूरा गांव जश्न में डूबा।
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