बंदर की गाजे-बाजे से निकाली शवयात्रा, पूरे गांव ने दिया कंधा, नदी में विसर्जित करेंगे अस्थियां
Jhalawar News, झालावाड़। पूरा गांव एकत्रित हुआ। अर्थी सजाई गई। गाजे-बाजे का इंतजाम किया गया और फिर शवयात्रा निकल पड़ी। जिसे देखो वो अर्थी को कंधा देने को बेताब। यह किसी इंसान की नहीं बल्कि एक बंदर की शवयात्रा है, जो राजस्थान के झालावाड़ जिले की अकलेरा तहसील के गांव बिंदायका में निकाली गई।
दरअसल, सुबह गांव में कुछ बंदर बिजली के खम्भे के पास चलह-कदमी कर रहे थे। इसी दौरान बंदर करंट की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई।
इसलिए निकाली शवयात्रा
बंदर को भगवान हनुमान का रूप मानते हुए ग्रामीणों ने उसके शव का हिन्दू रीति रिवाज से दाह संस्कार करने का फैसला किया। पहले तो सबको अजीब लगा, मगर फिर सबकी सहमति बनी तो गाजे-बाजे मंगवाए गए। बंदर की शवयात्रा निकालने के लिए अर्थी सजाई गई और देखते ही देखते पूरा गांव एकत्रित हो गया।
इसने निभाया बेटे का फर्ज
गांव के मुख्य मार्गों से बंदर की शवयात्रा निकली, जिसमें ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और फिर उसके शव का गांव श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार किया गया। हिन्दू रीति रिवाज से शव को जलाया गया है। गांव के ही एक व्यक्ति ने बेटे का फर्ज निभाते हुए उसकी चिता को मुखाग्नि दी।
12वें की रस्म् भी निभाएंगे
अब तीये की बैठक के मौके पर बंदर की अस्थियों को झालरापाटन स्थित चन्द्रभागा में नदी में विसर्जित किया जाएगा। इसके बाद 12वें की रस्म निभाई जाएगी। जिसमें नुक्ते का कार्यक्रम होगा।
छत्तीसगढ़ में मगरमच्छ 'गंगाराम' की मौत पर रोया पूरा गांव
राजस्थान के झालावाड़ जिले में लोगों ने बंदर की शवयात्रा निकाली, वहीं 8 जनवरी 2019 को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले का गांव बवामोहतरा एक मगरमच्छ की मौत पर रोया। 'गंगाराम' नाम के इस मगरमच्छ के साथ ग्रामीणों का 125 साल से लगाव था। ग्रामीण घरों से चावल व दाल लाकर तालाब में रहने वाले मगरमच्छ गंगाराम को खिलाते थे। मंगलवार को इसकी मौत हुई तो शव तालाब से बाहर निकाला गया। पूरा गांव एकत्रित हुआ और गाजे-बाजे से सजे-धजे ट्रैक्टर पर मगरमच्छ की शवयात्रा निकाली गई। अंतिम दर्शन के लिए पूरा गांव उमड़ा। हर किसी के आंखें नम हो गईं।