बंदरों के जुड़वा बच्चे पैदा होने के पीछे क्या गलता जी जड़ी-बूटियों हैं?
जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में गालव ऋषि की तपोस्थली गलता तीर्थ की पहाड़ियां धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा केन्द्र है। यहां लाल मुंह के बंदर भी बहुतायत में पाए जाते हैं। इन्हीं बंदरों से जुड़ा एक रोचक तथ्य सामने आया है। वो यह है कि यहां अधिकांश मादा बंदरों के जुड़वा बच्चे पैदा हो रहे हैं। इसके पीछे की एक वजह ये बताई जा रही है कि यह सब गलताजी की पहाड़ियों में मौजूद खास औषधियों (जड़ी-बूटियां) के कारण हो रहा है।
दरअसल, गलता तीर्थ की पहाड़ियों पर जड़ी-बूटियों की भरमार है, जिनका आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इन्हीं जड़ी बूटियों में शिलाजीत भी बताई जा रही है। गलताजी की पहाड़ियों में मौजूद लाल मुंह के बंदर भी शिलाजीत खाते है। नतीजतन, मादा बंदरों का प्रजनन शक्ति को ही बदल दिया है।
गलता तीर्थ को मंकीज वैली भी कहते हैं
गलता तीर्थ को मंकीज वैली के नाम से भी जाना जाता है। लाल मुंह के मादा बंदर के एक ही बच्चा पैदा होता है। लाल मुंह के अनेक मादा बंदर इन दिनों जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है। नेशनल नेचर सोसायटी के सचिव राज चौहान के मुताबिक ज्यादातर बंदर के एक ही बच्चा होता है। गलता तीर्थ की पहाड़ियों में वन औषधियों का सेवन करने से दो बच्चे हो सकते हैं।
पहले से कम मिलती हैं औषधियां
वन औषधि के वैद्य शंभू शर्मा के मुताबिक पत्थर से निकलने वाले द्रव्य शिलाजीत का शोधन करने के बाद ही काम में लिया जा सकता है। इससे दवाइयां बनती हैं। जयपुर के गलता में पहले वन औषधियां भी बहुत थी। कनक चम्पा, चिरायता, सालर, वज्रदंती, पत्थर चट्टी, चीरमी, नीम गिलोय, गंधारी, कालीजीरी, काक जंघा, बापची, कौंच, राजपीपल, शतावरी जैसी वन औषधियों से आयुर्वेद चिकित्सक दवाइयां बनाते थे।
गलता के अलावा यहां भी है शिलाजीत
गलता तीर्थ की पहाड़ियों में अब पहले जितनी वन औषधियां नहीं मिलती लेकिन ऊंची चट्टान पर काले नीले रंग का पदार्थ रिसता है, जिसे लोग शिलाजीत होना मानते हैं। गलता के अलावा हरिद्वार, शिमला, नेपाल, हिमाचल के पर्वतों में शिलाजीत पाया जाता है। दूदू के पास बिचून में दादू पालकिया पहाड़ की चट्टानों से भी शिलाजीत रिसता बताया जाता है।
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बन चुकी हैं कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में
बर्ड अस्पताल जयपुर के अनुसार कमल लोचन ने बताया कि गलताजी की पहाड़ियों में औषधियों पर शोध करने के लिए कई बार जाना हुआ है। शोध में यह बात सामने आई थी कि गलताजी में कई जुड़ी बूटियां ऐसी हैं, जिनके सेवन से बंदरों की प्रजनन क्रिया पर असर पड़ रहा है। संभवतया यही वजह है कि यहां पर बदरों के जुड़वा बच्चे पैदा हो रहे हैं। इस विषय पर कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में तक बन चुकी हैं। समाचार पत्रों में भी वन्यजीवों से जुड़ी यह अजब घटना सुर्खियों में रही है।