राजस्थान : मंदिर की चोटी पर चढ़कर साधु ने किया आत्मदाह का प्रयास, जानिए क्या है वजह
भरतपुर। राजस्थान के भरतपुर में कामां क्षेत्र के मुरार गांव में मंदिर पर चढ़कर साधु संतों ने जान देने की कोशिश की। पूरा विवाद मंदिर के आस-पास की भूमि का है। साधु संत उसे वन क्षेत्र घोषित करवाना चाहते हैं। गुरुवार दोपहर को मंदिर की चोटी पर चढ़े साधु संत शाम तक नहीं उतरे। ना ही उनकी सुध लेने के लिए कोई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर आया।
तेल की पीपी थी साथ
कुछ साधु मंदिर मंदिर की छत पर ही खड़े रहे और एक साधु मंदिर की चोटी पर चढ़ गया। उसके हाथ में केरोसिन तेल की पीपी भी थी। वह मांगें नहीं माने जाने की स्थिति में मंदिर की चोटी पर ही अपने शरीर पर तेल छिड़ककर आग लेने की बात कहता रहा।
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सैकड़ों ग्रामीण हुए एकत्रित
वहीं, सैकड़ों की संख्या में मंदिर पर ग्रामीण एकत्रित हुए और प्रशासन के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। समाचार लिखे जाने तक मौके पर कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुध नहीं पहुंचा है। इस बात को लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है।
तीन दिन पहले दिया था ज्ञापन
जानकारी के अनुसार कामां क्षेत्र के गांव मुरार मुल्लाका के पास साधुओं की तपोभूमि वन क्षेत्र बणी को वन क्षेत्र घोषित कराए जाने के लिए साधु-संतों ने एसडीएम बनवारीलाल शर्मा को पूर्व में ज्ञापन सौंपकर मांग की थी। उसमें चेतावनी दी गई अगर तीन दिवस में तपोभूमि को वन क्षेत्र घोषित नहीं किया गया तो साधु संत आत्मदाह करेंगे। इसके बाद गुरुवार को साधु समाज मंदिर की चोटी पर चढ़ गया, जहां आत्मदाह का प्रयास किया।
सैकड़ों साल पुराना है मंदिर
उल्लेखनीय है कि कामां के गांव मुरार में भूमि सैकड़ों सालों से किसी भी खातेदार द्वारा मौके पर खसरा नंबरों में कृषि नहीं की गई। उक्त तपोभूमि वन क्षेत्र में छोटी-छोटी कुटिया बनाकर तपस्या करते हैं। सैकड़ों साल पुराना हनुमान मंदिर स्थित है। चार धार्मिक तालाब बने हुए हैं। आरोप है कि उक्त वन क्षेत्र को कुछ भूमाफिया खरीदना चाहते हैं, जिससे साधुओं की यह तपोभूमि हो उजड़ जाएगी।
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