जानिए बड़ी मूछों वाले उस शख्स के बारे में जो 60 साल अटल जी के साथ साये की तरह रहा
जयपुर। जब सारा देश पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के लिए दुआ में जुटा है, तो ऐसे में उनके साथ के एक रिश्ते की कहानी फिर से दिल में ताजा हो जाती है। ऐसे रिश्ते जो खून के नहीं है, लेकिन अटूट हैं और अटल हैं। दिलों के ये रिश्ते बिरले होने के कारण कम ही सुनने में आते हैं। हम बात कर रहे हैं अटल बिहारी वाजपेयी के साथ हम साये की तरह रहने वाले जयपुर के शिव कुमार पारीक की, जिन्होंने 60 साल से अटल बिहारी का हाथ थामा हुआ है। वे अटल बिहारी के सुख-दुख के सखा, राजनीतिक उठा-पटक के गवाह व सलाहकार और उनके कदम-दर-कदम रक्षक भी बने रहे। उम्र के कारण शरीर से असहाय होने के बाद भी शिव कुमार पारीक ने अटली जी की दिनचर्या को अपने कंधों पर सम्भाले रखा है।
जानकारी के अनुसार अटल बिहारी वाजपेयी अपना पहला लोकसभा चुनाव वर्ष 1955 में हार गए थे। उनकी इस हार ने सभी को चौंका भी दिया था। इसके दो साल बाद वर्ष 1957 में वे चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। उनके बोलने के अंदाज के सभी राजनीतिक दल के नेता कायल थे और उनको सुनने के आतुर रहते थे। इसमें कोई शक नहीं है कि तब भी सर्वमान्य नेता बन चुके थे। तभी किसी ने राय दी कि अटल बिहारी को एक सहायक की जरूरत है, जो हर कदम पर उनकी सहायता व रक्षा करे। काफी तलाश के बाद नानाजी देशमुख ने जयपुर के निवासी आरएसएस के मजबूत कार्यकर्ता शिव कुमार पारीक का नाम आगे रखा। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि शिव कुमार का अटल बिहारी से इस तरह से मिलने एक इत्तेफाक ही था। वे कई सालों तक वाजपेयी के निजी सचिव रहे। रिश्ते की गम्भीरता यह बनी कि जब वाजपेयी राजनीतिक रूप से सक्रीय नहीं रहे, तब भी पारीक ने उनका हाथ थामे रखा।
पारीक ने एक साक्षात्कार में कहा था कि वे अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन पर एक पुस्तक भी लिख रहे हैं, जो उनके खुद के भी जीवन से जुड़ी है। उन्होंने कहा था कि अटल बिहारी के साथ गुजारा एक-एक पल उनके लिए अविस्मरणीय है। जयपुरवासी पारीक ही हैं, जिन्होंने अटल बिहारी का रिश्ता जयपुर से व राजस्थान से जोड़े रखा है। जब भी शिव कुमार पारीक का नाम जहन में आता है, तो हर किसी को उनकी लम्बी घनी मूछें याद आज जाती हैं। पारीक भगवान शंकर के परम भक्त हैं। उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ पूरा जीवन अटल बिहारी की सेवा में लगा रखा है। वे अटल बिहारी के जीवन में निजी सहायक के तौर पर जुड़े थे, लेकिन आज वे वाजपेयी की दिल की गहराइयों में बसे हुए हैं। राजनितिक जानकार बताते हैं कि शिवकुमार ने ही वाजपेयी की अनुपस्थिति में सालों तक लखनऊ संसदीय क्षेत्र को संभाला था। जब तक वाजपेयी स्वस्थ्य थे, तब शिव कुमार के हर पारिवारिक कार्यक्रम में शरीक हुए।
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