चमत्कार का दावा : दिवाली पर महालक्ष्मी मंदिर में मिले 'मां लक्ष्मी' के पैरों के निशान
सीकर। देशभर में इस समय दीपोत्सव 2019 मनाया जा रहा है। 27 अक्टूबर को घर-घर में महालक्ष्मी की पूजा की जाएगी। दिवाली पर राजस्थान में महालक्ष्मी मंदिर से जुड़ा एक अनूठा चमत्कार का दावा भी चर्चा में है। मंदिर में कथित तौर पर मां लक्ष्मी के पैरों के निशान दिखाई दिए जाने का दावा मंदिर के पुजारी ने किया है। यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटूश्यामजी इलाके के गांव डूकिया में महालक्ष्मी मनोकामनापूर्ण मंदिर है, जो सालभर पहले बना है।
मीडिया से बातचीत में मंदिर पुजारी दावा कर रहे हैं कि पिछले साल दिवाली की रात दर्शनों के लिए उन्होंने रात को मंदिर के पट खुले छोड़ दिए थे। देर रात पट अपने आप अंदर से बंद हो गए। खोलने की कोशिश पर भी नहीं खुले। पुजारी के अनुसार मंदिर के पट अपने आप बंद होने की चर्चा सुबह तक पूरे गांव में फैल गई तो ग्रामीण सुबह मंदिर पहुंचे और एक कारीगर को बुलाकर दरवाजा तुड़वाया गया। अंदर देखा तो मूर्ति के सामने मेहंदी और चंदन लगे पांव उभरे हुए दिखाई दिए, जो मां लक्ष्मी के बताए गए।
यह मंदिर निर्माण का इतिहास
जानकारी के अनुसार मंदिर का निर्माण नजफगढ़ दिल्ली के श्याम भक्त नरेश नागर ने करवाया है। नरेश बाबा श्याम के दर्शनों के लिए खाटूश्यामजी आने की परंपरा के बीच उन्होंने डूकिया में 150 बीघा जमीन खरीदी थी। मकान निर्माण के लिए उन्होंने उस जमीन की नींव खोदी तो मिट्टी से 18 भुजाधारी देवी की छोटी सी मूर्ति निकली। जिसे दिल्ली ले जाते समय उन्होंने बीच रास्ते में त्रिवेणी धाम महंत नारायण दास महाराज को दिखाया। जिन्होंने मूर्ति को महालक्ष्मी की बताते हुए उसी जमीन पर मंदिर बनाने की बात कही। इस पर करीब दो करोड़ की लागत से मंदिर बनवाकर 17 अक्टूबर 2018 शारदीय नवरात्रों में महालक्ष्मी की मूर्ति को प्रतिष्ठित करवाया गया।
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर के पूर्व छात्रसंघ नरेन्द्र शर्मा गांव डूकिया के रहने वाले हैं। नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि पिछले साल दिवाली पर मंदिर में पैरों के निशान देखे थे। वो किसके थे। यह नहीं कह सकते, मगर रात को मंदिर के पट अपने आप बंद हुए या नहीं। यह नहीं देखा। वो पैरों के निशान तो मंदिर में आज भी मौजूद हैं।