राजस्थान पर यहां पर भरा है मोहब्बत का मेला, देशभर से पहुंचे प्रेमी-प्रेमिका
श्रीगंगागनर। राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की अनुपगढ़ तहसील के चक 6 एनएसआर बिंजोर गांव में मोहब्बत का मेला भरा है। इसमें देशभर में प्रेमी प्रेमिका और नवविवाहित जोड़े पहुंचे हैं। हर साल जून माह में भरने वाले इस मेले प्रेमी जोड़ों का यहां उत्साह देखते बनता है।
बता दें कि भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल सीमा पर स्थित श्रीगंगानगर में लैला मजनूं की मजार बनी हुई है। उस पर मंगलवार से मेला शुरू हुआ है, जो दो दिन तक जारी रहेगा। इस दौरान देश के कोने-कोने प्रेमी जोड़े और नवविवाहित दम्पति यहां लैला मजनूं की मजार पर शीश झुकाकर मन्नत मांगेंगे।
लैला मजनूं से अविवाहित युवक-युवतियां इच्छा अनुसार जीवन साथी के मिलने और प्रेमी जोड़े व नवविवाहित युगल एक दूसरे की सलामती के लिए दुआ मांगते हैं। बताया जाता है कि लैला मजनूं की याद में यहां पर भारत-पाकिस्तान विभाजन के पहले मजार बनी हुई है। यहीं पर दोनों प्रेमी जोड़ों ने अंतिम सांस ली थी।
भारत-पाकिस्तान की सरहद से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित लैला मजनूं मजार पर हर साल जून माह में दो दिन मेला लगता है, जिसमें दूर-दराज से लोग मन्नत मांगने पहुंंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि मजार पर चुन्नी चढ़ाने वालों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। यही वजह है कि हर साल इस मेले में हजारों लोग शिरकत करने पहुंचते हैं।
सीमा की सुरक्षा में जुटी बीएसएफ ने इस ऐतिहासिक स्थल के महत्व को समझते हुए ही अपनी एक सीमा चौकी का नाम मजनूं चैक पोस्ट रखा है। हर साल मेले के दौरान बीएसएफ द्वारा श्रद्धालुओं के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की जाती है। सरहद पर तारबंदी से पूर्व इस मेले में पाकिस्तान से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते थे लेकिन दोनों मुल्कों के ताल्लुकात में आई कड़वाहट ने तारबंदी बना दी और तारबंदी के कंटीले तारों ने प्यार के इस त्योहार का रंग भी फीका किया है। इस पूरे मामले का दुखद पहलू यह है कि विश्व विख्यात होने के बावजूद यह स्थल सरकारी उपेक्षा का शिकार है और पर्यटन की लाख संभावनाओं के बावजूद आज तक सरकार द्वारा इसके जीर्णोद्वार के लिए कुछ खास नहीं किया गया है।
जानिए कौन थे लैला-मजनूं
लैला-मजनूं की कहानी उस समय की काहानी है जब सिंध के अरबपति शाह अमारी के बेटे कैस (मजनूं) और लैला नाम की लड़की को एक दूसरे से प्यार हो गया था। लेकिन दोनों के प्यार का परिणाम मौत थी। दोनों के अटूट अमर प्रेम के चलते ही लोगों ने दोनों के नाम के बीच में 'और' लगाना मुनासिब नहीं समझा और दोनों हमेशा के लिए 'लैला-मजनूं' के रूप में ही अमर प्यार की मिशाल बन गए। लोगो का मानना है की घर से भाग कर दर-दर भटकने के बाद, वे यहां तक पहुंचे और प्यास से उन दोनों की मौत हो गई। वहीं कुछ लोगो का मानना हैं कि परिवार वालों और समाज से दुखी होकर उन्होंने एक साथ आत्महत्या कर ली।