छोटे से गांव का लड़का अमेरिका में बना साइंटिस्ट, घरवालों को लगता था चपरासी भी नहीं बन सकता
कोटा। यह कहानी है बुलंद हौसलों की। मजबूत इरादों और कड़ी मेहनत से अपने दम पर कामयाबी हासिल करने की। उस युवक की है, जो एक छोटे से गांव में पैदा हुआ और वर्तमान में अमेरिका के मेडिकल कॉलेज में बतौर साइंटिस्ट काम कर है जबकि इसके घरवालों की सोच थी कि यह कोई बड़ी सफलता हासिल नहीं कर सकता।
असफलता से निराश होकर गलत कदम उठा लेने वाले युवाओं को कभी ना हार मानने के लिए प्रेरित करने वाली यह कहानी राजस्थान के कोटा जिले के गांव रोन के युवक मुकेश गौतम की है। मुकेश अब अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में डॉ. मुकेश गौतम के नाम जाते हैं।
राजस्थान के गांव रोन से शिकागो तक के सफर की पूरी कहानी बेहद रोचक है। 39 वर्षीय डॉ. मुकेश ने उन दिनों को याद करते हुए मीडिया को बताया कि शिकागों में छह साल हो गए। 12वीं तक पढ़ाई गांव में ही की। इसके बाद पीएमटी की तैयारी करने कोटा आ गया। यहां मेहनत की, मगर किस्मत ने साथ नहीं दिया। पीएमटी जो वर्तमान में नीट के नाम से जानी जाती है। उसमें मेरा सलेक्शन नहीं हुआ।
डॉक्टर के बनने का ख्वाब टूट गया। अवसाद में आ गया सो अलग। एक बारगी तो लगा सब कुछ खत्म कर लूं, मगर दिल ने गवाही नहीं दी। फिर कोटा छोड़कर बीएससी करने के लिए बारां चल गया। बीएससी के बाद भी मन में कहीं ना कहीं डॉक्टर का ख्वाब जिंदा रहा। हालांकि परिवार वाले चाहते थे कि मैं सरकारी नौकरी करूं। प्रतियोगी परीक्षाओं के फार्म भरने शुरू करूं। भले ही चपरासी की ही नौकरी मिल जाए। इसी कशमकश के बीच मुकेश गौतम बायोटेक्नोलॉजी में एमएससी करने के लिए भोपाल आ गया। फिर दिल्ली से पीएचडी की और इसके बाद अमेरिका जाने का मौका मिला। पिछले छह साल से अमेरिका के शिकागो स्थित नॉर्थ वेस्टर्न यूर्निवसिटी में बतौर विज्ञानी काम कर रहा हूं।