पंडित मंत्र पढ़ता है और इंसान के अंदर का प्रेत तड़प उठता है, कुछ ऐसी है यहां की खासियत
अजमेर। अजमेर के तीर्थ नगरी पुष्कर में मंगलवार को सुधाबाय स्थित गया कुण्ड में ऐसा मेला आयोजित किया गया जिसे कोई भी सुनकर दंग रह जाएगा। आइये आपको बताते हैं कि इस मेले की क्या विशेषता है। तीर्थ राज पुष्कर में एक कुण्ड है जिसे गया कुण्ड कहते हैं। यहां मंगलवार और चतुर्थी यानि चौथ का संयोग एक दिन होने पर मेले का आयोजन किया जाता है। तीर्थ पुरोहित सुरेन्द्र राजगुरू ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार मंगल चौथ पर इस कुण्ड के स्नान मात्र से भूत या प्रेत आत्माओं से निजात मिलती है। इसके लिए नारायण बली की पूजा भी यहां पर करवाई जाती है।
उन्होंने कहा कि कई बार व्यक्ति की मृत्यु तो हो जाती है लेकिन किसी कारणवश उसे मोक्ष प्राप्त नहीं होता और उसकी आत्मा किसी अन्य के शरीर में आकर लोगों को परेशान करती है। ऐसे लोगों को यहां मंगलवार चौथ पर लाकर नहलाया जाता है और विधि विधान से पूजा अर्चना करवाई जाती है जिससे ऐसे लोगों को परेशानियों से निजात मिलती है। राजगुरू ने कहा कि पद्मपुराण में मर्यादा पर्वत यज्ञ पर्वत के बीच सतयुग के तीन कुंड बताए गए हैं जिन्हें ज्येष्ठ पुष्कर, मध्य पुष्कर ओर कनिष्ठ पुष्कर के नाम से जाना जाता है।
मध्य पुष्कर के समीप अवियोगा नामक एक चोकोर बावड़ी है जिसके मध्य मे जल से युक्त एक कुआं है जिसे सौभाग्य कूप कहते हैं। यहां पिंड दान करने से भटकती आत्माओं को मुक्ति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि मंगलवार और चौथ के संयोग के दिन इस बावड़ीनुमा कुण्ड मे साक्षात् गया माता निवास करती है और इस जल के छूने मात्र से ही शरीर को आत्माओं के प्रकोप से निजात मिलती है। पुराणों के अनुसार आकस्मिक मौत वाले व्यक्ति के मन में कई ईच्छाएं भी साथ चली जाती हैं।
इन्हीं इच्छाओं को पूरा करने के लिए आत्मा किसी अन्य शरीर का सहारा लेती है और इच्छा प्राप्ति के लिए उक्त शरीर को व अन्य लोगों को यातानाएं भी देती है। वैसे आज के इस वैज्ञानिक युग में इसे केवल मात्र अंधविश्वास के सिवा ओर कुछ नहीं कहा जाएगा लेकिन कई बार वैज्ञानिक शोध मे भी यह सच्चाई सामने आई है। वहीं पद्मपुराण में पृष्ठ संख्या 104 में लिखी पंक्तियां भी इसकी सच्चाई का प्रमाण है।
आप
भी
हो
जाएंगे
मानने
पर
मजबूर
इस
कुण्ड
या
बावड़ी
में
हजारों
वर्षों
से
आस्था
का
सैलाब
उमड़ता
है।
मंगलवार
चौथ
के
दिन
यहां
के
नजारे
देखकर
हर
किसी
के
रोंगटे
खड़े
हो
जाते
हैं
साथ
ही
वह
भी
भूत
प्रेत
की
सच्चाई
को
मानने
पर
मजबूर
हो
जाता
है।
आपको
बता
दें
कि
यहां
आज
के
दिन
कई
लोगों
का
शरीर
तड़पता
है
और
पण्डित
के
मंत्रोच्चारण
के
बीच
आत्मा
अपनी
हकीकत
कबूल
करती
है
और
शरीर
से
छूटने
के
लिए
गिड़गिड़ाती
है।
फिर
पण्डित
मंत्रों
के
जरिए
उक्त
व्यक्ति
को
आत्मा
के
प्रकोप
से
निजात
दिलवाते
हैं।
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