खिंदाराम कलबी : 6 बार फेल होकर भी नहीं मानी हार, 7वीं बार में किया राजस्थान टॉप, माता-पिता निरक्षर
जालौर। परिस्थिति कैसी भी हो? मुश्किल कितनी भी आए? अगर ठान लें तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। ऐसा कर दिखाया है खिंदाराम कलबी ने। यह वो शख्स है जिसने असफलताओं से हार मानने की बजाय उनसे कुछ नया सीखकर सफलता के झंडे गाड़े हैं। खिंदाराम कलबी ने राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित व्याख्याता भर्ती परीक्षा 2018 (राजनीति विज्ञान) में पूरे राजस्थान में टॉप किया है।
खिंदाराम कलबी जालौर की सक्सेस स्टोरी
राजस्थान स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा 2018 में प्रथम रैंक हासिल करने वाले खिंदाराम कलबी की सक्सेस स्टोरी कई मायनों में खास है। पहली बात तो ये कि खिंदाराम राजस्थान के उस जालौर जिले से ताल्लुक रखता है जो साक्षरता के मामले में सबसे निचले पायदान पर है। दूसरी बात ये कि राजस्थान टॉप करने से पहले खिंदाराम छह बार प्रतियोगी परीक्षाओं में फेल हो चुका है। तीसरी बात खिंदाराम के माता-पिता के निरक्षर हैं।
माता-पिता को नहीं पता क्या होता है व्याख्याता?
मीडिया से बातचीत में खिंदाराम के माता-पिता ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि व्याख्याता क्या होता है? प्रथम रैंक के क्या मायने हैं? हां, इतना जरूर जानते हैं कि उनका बेटा खिंदाराम अबकी बार सरकारी नौकरी लग गया है। राजस्थान में सबसे ज्यादा नंबर लेकर आया है।
सात भाई-बहनों से सबसे छोटा खिंदाराम
बता दें कि राजस्थान के जालौर जिले के आलवाड़ा (सायला) निवासी नगाराम व लीलूदेवी के चार बेटे व तीन बेटियों में खिंदाराम कलबी सबसे छोटा व सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा है। नगाराम व लीलूदेवी खुद अंगूठा छाप हैं, मगर बेटे को पढ़ा लिखाकर काबिल बना दिया।
शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में खिंदाराम ने बताया कि उन्होंने आठवीं तक की शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त की। फिर स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में बीए और राजनीति विषय से नेट जेआरएफ किया। पढ़ाई के साथ-साथ माता-पिता के साथ खेतीबाड़ी भी की।
पहले इन परीक्षाओं में फेल हुआ खिंदाराम
राजनीति विज्ञान व्याख्याता भर्ती परीक्षा टॉप करने से पहले खिंदाराम तीन बार वरिष्ठ अध्यापक भर्ती, दो बार रीट भर्ती और एक बार व्याख्याता भर्ती में फेल हो गया था। असफलताओं के बावजूद हार मानने की बजाय खिंदाराम ने मेहनत जारी रखी और अब कामयाबी के शिखर को छूआ है।
शिक्षकों व दोस्तों ने बंधाई हिम्मत
खिंदाराम ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के आशीर्वाद और शिक्षक रामसिंह आढ़ा और भवानी सिंह राजपुरोहित को दिया है। कलबी ने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में लगातार फेल होने पर शिक्षकों व दोस्त हंसमुख प्रजापत, विक्रम सिंह, हड़मताराम, खेताराम हिम्मत नहीं हारने की सलाह दी।
जालौर की साक्षरता दर 54.86 फीसदी
बता दें कि राजस्थान के 33 जिलों में 54.86 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ जालौर सबसे निचले पायदान पर है। 76.56 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ कोटा जिला सबसे अव्वल है। जालौर में पुरुष साक्षरता दर 70.67 और महिला साक्षरता दर 38.47 प्रतिशत है। राजस्थान टॉपर खिंदाराम जिस सायला इलाके से आता है वह जालौर में शिक्षा के लिहाज सबसे पिछड़ा हुआ है। यहां शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का कोई माहौल नहीं है।
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