राजस्थान की कविता ने 12 साल में 19 बार झेला मिसकैरेज का दंश, अब 20वीं बार में बनी मां
नागौर। राजस्थान के नागौर जिले के कुचामन उपखंड के गांव दौलतपुरा निवासी मेघराज के परिवार के लिए यह खबर किसी चमत्कार से कम नहीं है। बीते बीस साल से जो परिवार किसी नन्हें मेहमान की किलकारी सुनने को बेताब हो रहा था उसका ख्वाब अब पूरा हो गया है।
12 साल पहले हुई थी शादी
12 साल पहले मेघराज की शादी कविता से हुई थी। शादी के बाद जब पहली कविता ने परिवार को 'गुड न्यूज' सुनाई तो परिवार का हर कोई सदस्य नन्हें का बेसब्री से इंतजार करता दिखा, मगर खुशी का यह मौका उस वक्त सबको मायूस कर गया जब पता चला कि कविता को मिसकैरेज (बच्चा गिर जाना) की समस्या का सामना करना पड़ा है।
शारीरिक व मानसिक तौर पर पीड़ा झेली
कविता की यह दर्दभरी कहानी यही खत्म नहीं हुई बल्कि यहां से इसकी शुरुआत हुई थी, जो एक दशक से अधिक समय तक चली। इस दौरान कविता ने 19 बार मिसकैरेज का सामना किया। शारीरिक व मानसिक तौर पर पीड़ा झेली। कविता के परिवार ने सब जगह इलाज करवाया। मंदिर-देवरों के भी खूब चक्कर लगाए, मगर कहीं पर भी ना दवा लगी ना ही कोई दुआ काम आई।
कृष्णा अस्पताल कुचामन नागौर
इस बीच कविता का पति उसे नागौर के कुचामन स्थित कृष्णा अस्पताल लेकर आया। यहां पर डॉ. बीएल गावड़िया और उनकी पत्नी डॉ. रजनी गावड़िया की देखरेख में कविता का उपचार चला। अलग-अलग स्तर पर महिला की जांच व माइनर दूरबीन ऑपरेशन किए, जिसमें बच्चेदानी का पर्दा दूरबीन द्वारा हटाया गया। छह माह तक मेडिकल उपचार दिया गया। उसके बाद दवा दी।
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जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ
डॉ. बीएल गावड़िया ने बताया कि मेडिकल साइंस की भाषा में इसे 'स्पॉन्टेनस अबॉर्शन' या 'प्रेग्नेंसी लॉस' भी कहते हैं। मिसकैरेज तब होता है जब भ्रूण की गर्भ में ही मौत हो जाती है। प्रेग्नेंसी के 20 हफ़्ते तक अगर भ्रूण की मौत होती तो इसे मिसकैरेज कहते हैं। उनके यहां उपचार शुरू होने के बाद कविता 20वीं बार गर्भवती हुई। सिजेरियन ऑपरेशन से उसने बच्चे को जन्म दिया। फिलहाल जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
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