कारगिल विजय दिवस : पिता के बाद बेटे ने भी ज्वाइन की इंडियन आर्मी, स्टोरी पढ़कर आप भी करेंगे इन्हें सैल्यूट
सीकर। शेखावाटी के कण-कण में देशभक्ति का जज्बा है। गांव में शहीद प्रतिमाएं और घर-घर में फौजी इस बात का सबूत हैं कि देश की आन, बान और शान के लिए शेखावाटी के बहादुर बेटे जान तक की बजा लगा देते हैं। पाक ने जब-जब भी हिन्दुस्तान की तरफ आंख उठाकर देखा है तब-तब शेखावाटी के रणबांकुरों ने उसे मुंहतोड़ जवाब दिया है।
कारगिल युद्ध के 20 साल के मौके पर वन इंडिया की 'कारगिल में राजस्थान के फौजी' सीरीज में आज हम बात कर रहे हैं ऐसे परिवार की, जिसमें पिता के बाद बेटे ने भी इंडियन आर्मी ज्वाइन की और पाक घुसपैठियों को धूल चटाते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए।
5 साल बाद अमर हुए विनोद कुमार नागा
राजस्थान के सीकर के गांव रामपुरा के विनोद कुमार नागा अपने परिवार में से भारतीय सेना में जाने वाले दूसरे शख्स थे। इनसे पहले पिता भागीरथ सिंह भी सेना सेवाएं दे चुके हैं। 1 नवम्बर 1976 को जन्मे विनेाद कुमार नागा 6 अक्टूबर 1994 को भारतीय सेना में भर्ती हुए। भारत-पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में 30 मई 1999 को विनोद कुमार वीरगति को प्राप्त हो गए थे। विनोद भारतीय सेना ज्वाइनिंग करने के 5 साल बाद शहीद हो गए थे।
डेढ़ माह बाद घर पहुंचा शव
शहीद विनोद के पिता भागीरथ सिंह ने मीडिया को बताया था कि उनका बहादुर बेटा जम्मू कश्मीर के कारगिल में पाक घुसपैठियों को मुंह तोड़ जवाब दे रहा था। उसी दौरान गोली लगने से वह घायल हो गया और फिर बर्फ में दब गया। करीब डेढ़ माह बाद उसकी पार्थिव देह घर पहुंची।
फौजियों की खान है शेखावाटी
बता दें कि यूं तो पूरे राजस्थान में रणबांकुरों की कमी नहीं, मगर संख्या के लिहाज से देखें तो शेखावाटी अंचल पूरे प्रदेश में फौजियों की खान की तरह है। अंचल के झुंझुनूं, सीकर और चूरू जिले में वर्तमान और पूर्व सैनिकों का आंकड़ा डेढ़ लाख तक है। शेखावाटी के भी तीनों जिलों में झुंझुनूं की पहचान फौजियों वाले जिले के रूप में है।