सरपंच चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी को ग्रामीण देंगे सालभर का राशन व हर माह 15 हजार रुपए, जानिए वजह
झुंझुनूं। राजस्थान पंचायत चुनाव 2020 हाल ही सम्पन्न हुए हैं। इस बार के सरपंच चुनाव में एक अनूठी परम्परा सामने आई है। वो है हारे हुए प्रत्याशी का मनोबल का नहीं टूटने देना। चुनाव परिणाम के बाद गांव में मिलजुल कर कुछ ऐसे फैसले लेना जिससे उधड़ते सामाजिक रिश्तों की तुरपाई हो जाए। दरअसल, सरपंच चुनाव 2020 में झुंझुनूं जिले की दोरासर और डूमोदी खुर्द तथा जोधपुर जिले की नानण ग्राम पंचायत के लोगों ने हारे प्रत्याशी की आर्थिक मदद कर अनूठी मिसाल पेश की है।
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दोरासर सरपंच बने दिलीप मीणा
सबसे पहले बात झुंझुनूं जिले में पहली बार वजूद में आई दोरासर ग्राम पंचायत में मोबीलाल मीणा राशन डीलर हैं। इसी से वे अपनी आजीविका चलतो थे। ग्रामीणों के काफी आग्रह पर उन्होंने राशन डीलर का छोड़कर गांव के विकास के सरपंच चुनाव लड़ना तय किया। चुनाव में मोबीलाल मीणा का मुकाबला दिलीप मीणा से थे। दिलीप मीणा 233 वोटों से चुनाव जीत गए। सरपंच चुनाव परिणाम आने के बाद ग्रामीणों का कहना था कि मोबीलाल भले ही चुनाव हार गए हो, मगर उन्होंने ग्रामीणों का दिल जीत लिया।
बेटे के नौकरी लगने तक देंगे मदद
चुनाव मैदान में उतरने के लिए उन्होंने राशन डीलर का काम छोड़ दिया। ऐसे में ग्रामीणों ने फैसला लिया कि मोबीलाल के परिवार सामूहिक सहयोग से हर माह 15 हजार रुपए की आर्थिक मदद की जाएगी। यह राशि उन्हें उनके बेटे के नौकरी लगने तक दी जाएगी। इसके अलावा उन्हें सालभर का राशन भी उपलब्ध करवाया जाएगा।
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प्रत्याशी को 12 लाख रुपए दिए
इसी तरह से झुंझुनूं जिले के डूमोली खुद में पराजित प्रत्याशी का मनोबल बनाए रखने के लिए ग्रामीणों ने जनसहयोग से 12 लाख रुपए जुटाकर सौंपे हैं। उधर, जोधपुर जिले के पीपाड़ पंचायत समिति की ग्राम पंचायत नानण में सरपंच चुनाव हारने पर मकु देवी देवासी के परिवार को ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से 21 लाख रुपए की मदद की है।
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पहले भी रह चुके हैं सरपंच
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में मोबीलाल ने बताया कि गांव वालों के आग्रह पर ही उन्होंने राशन डीलर की नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ा है। अब ग्रामीणों ने मदद का फैसला लिया है। मोबीलाल के दो बेटी व एक बेटी है। बेटियों की शादी हो चुकी है। वर्ष 1995 से 2000 तक मोबीलाल ग्राम पंचायत कुलौद कलां के सरपंच रह चुके हैं।
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