VIDEO : तिरंगे में लिपटकर घर आया फौजी बेटा, 4 माह से लेह लद्दाख की बर्फ में दबा था शव
झुंझुनूं। चार माह तक जम्मू कश्मीर के लेह लद्दाख में बर्फ में दबे रहे भारतीय सैनिक रविंद्र राव का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा, जहां 10 जुलाई को राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार किया गया। रविंद्र राव मूलरूप से राजस्थान के झुंझुनूं जिले के सिंघाना थाना इलाके के गांव घरड़ाना कला के रहने वाले थे। बहादुर फौजी रविंद्र राव के अंतिम दर्शन और उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए पूरा शेखावाटी उमड़ा। राव पांच साल के बेटे दक्ष ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी।
28 फरवरी को हुए थे लापता
बता दें कि रविंद्र का शव लेह में यूनिट के पास नदी के किनारे 6 जुलाई 2019 को मिला था। पार्थिव देह लेकर पहुंचे साथी अनुज ने बताया कि रविंद्र कुमार 28 फरवरी 2019 को यूनिट से बाहर गए थे, जहां पर बर्फबारी की चपेट में आ गए। बर्फ के नीचे करीब 4 महीने दबे रहे। जब बर्फ पिघली तो उसका शव नदी के पास मिला। जिसे अब घर लाया गया है।
रविंद्र अमर के रहे नारों से गूंजा आसमां
अंतिम संस्कार में थानाधिकारी प्रमोद चैधरी व यूनिट से आए साथी अनुज कुमार ने पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी। अंतिम संस्कार से पहले पुलिस लाइन से आई पुलिस की टुकड़ी ने मातमी धुन बजाते हुए गार्ड ऑफ ऑनर दिया। शवयात्रा में पूरे शेखावाटी के लोग शामिल हुए। रास्ते में ग्रामीणों ने रविंद्र अमर रहे व भारत माता की जय के नारों से आसमां गूंजा दिया।
फौजी रविंद्र का परिवार
रविंद्र की पार्थिव देह घर पहुंची तो माता मायाकोर, पिता महासिंह राव, पत्नी प्रियंका व बेटे 5 वर्षीय दक्ष व 10 माह के यक्ष का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। बड़ा बेटा दक्ष सिलारपुरी में एलकेजी की पढ़ाई कर रहा है। पिता व बड़ा भाई सुरेंद्र कृषि का कार्य करते हैं। दो बहनों कौशल्या और नीलम की शादी हो चुकी है।
2016 में हुए थे भर्ती
रविंद्र 15 जनवरी को 1 महीने की छुट्टी आए थे। 13 फरवरी को वापस अपनी यूनिट लेह में गए थे, जहां पर 28 फरवरी को लापता हो गए। रविंद्र अक्टूबर 2016 में पुणे में भर्ती हुए थे। पहली नियुक्ति लेह जम्मू कश्मीर में ही हुई। गांव के साथी राकेश घरड़ानिया ने बताया कि रविंद्र मिलनसार व खेलों के प्रति रुचि रखता था। गांव में आते ही मैदान पर जाकर खिलाड़ियों व फौज में भर्ती के लिए प्रैक्टिस करने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करता रहता था।