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राजस्थान के इस छोरे ने खेती में लगाया अपना 'इंजीनियर' वाला दिमाग, होने लगी छप्परफाड़ कमाई

By बलबहादुर सिंह हाड़ा
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Jhalawar News, झालावाड़। राजस्थान के झालावाड़ जिले के गांव सरड़ा निवासी दिव्यांशु पारेता पढ़ाई के बाद अब खेती में कमाल कर दिखा रहा है। दिव्यांशु मशरूम की खेती कर लाखों रुपए कमा रहा है, जबकि फेसबुक वाट्सएप के जमाने में युवा पढ़ाई के बाद बड़े ओहदे पर काम कर आराम दायक जीवन जीना चाहता है।

mushroom ki kheti in Jhalawar Rajasthan

स्नातक एवं इंजीनियरिंग डिप्लोमा में अध्यनरत दिव्यांशु पारेता ने महज 23 साल की उम्र अपने स्वयं के दम पर रुचि के चलते मशरूम खेती को आगे बढ़ाया है। वह पढ़ाई के साथ करीब एक साल से यह कार्य कर रहा है। एक प्रशिक्षण के बाद तो उसने कुछ हटकर अलग करने की ठान ली और अपनी चाह के चलते दिव्यांशु पारेता ने घर मे बने हॉल को ही खेत बना लिया। वहींं उचित प्रबंध करके मशरूम की खेती करने लगा।

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गौरतलब है कि मशरूम की खेती (Mushroom Ki Kheti In Jhalawar) के लिए उचित तापमान, स्वच्छता, कीटाणु रहित वातावरण की आवश्यकता होती है। ऐसा ही वातावरण दिव्यांशु पारेता ने अपने घर में ही एक हॉल में बना दिया। जिससे कि मशरूम की खेती आसानी से की जा सके। दिव्यांशु पारेता ने बताया कि पिछले 1 वर्ष से वह गांव में ही मशरूम की खेती कर रहे हैं। एक साल में करीब 800 KG मशरूम का उत्पादन होता है। पारेता मशरूम की खेती से लाखों रुपए कमा रहा है।

Jhalawar Farmer divyanshu pareta Lakh rupees earned from mushroom farming

यह है मशरूम का जीवन काल

एक बार की खाद से तीन बार तक मशरूम की फसल ले सकते हैं। जब एक बार मशरुम तोड़ लिया जाता है। उसके बाद उसमें पानी का छिड़काव करके वापस से ताजी हवा दी जाती है। ताकि पानी एक जगह पर ना ठहरे व कमरे में उचित नमी बनी रहे। मशरूम को तोड़ने के बाद उसको धोकर छिद्रयुक्त थैलियों में पैक किया जाता है। व मंडियों में बेचने के लिए भेज दिया जाता है। मशरूम का जीवनकाल ज्यादा नहीं होता है इनको तोड़ने के बाद फ्रिज में रखने पर यह 3 से 4 दिन तक रह सकती है।

कोटा, जयपुर सहित अन्य शहरों में जा रही मशरूम

दिव्यांशु पारेता ने बताया कि मशरूम की कई किस्में होती है। इनमें से वह बटन किस्म की मशरूम पैदावार कर रहे हैं। यह मशरूम 250 रुपए किलो से 350 रुपए किलो तक बेची जा सकती है। मशरूम की कोटा , जयपुर मध्यप्रदेश के जबलपुर , इंदौर सहित अन्य प्रांतों में बड़ी मांग है। पहली बार सुरुवात में असफलता भी मिली जब 30 किलों गेंहू के भूसे से कार्य प्रारंभ किया तो कोई सफलता नही मिली इसके बाद शिमला के पास सोलन में प्रशिक्षण लिया और एक सफल उत्पादक बन गए।

आयुर्वेद अस्पताल के कम्पाउंडर राजेश शर्मा के अनुसार मशरूम फाइबर का भी माध्यम है कई बीमारी में इसका इसका दवाई के रूप में इस्तेमाल होता है। इसमें खनिज और विटामिन पाए जाते हैं। मशरूम को कई प्रकार की औषधियां बनाने और सब्जी के रूप में उपयोग होता है।

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English summary
Jhalawar Farmer divyanshu pareta Lakh rupees earned from mushroom farming
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