राजस्थान की IPS बेटी सरोज कुमारी ने गुजरात में कर दिखाया कमाल, पूरे देश को इन पर गर्व
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Jhunjhunu News, झुंझुनूं। राजस्थान के झुंझुझूं जिले की चिड़ावा तहसील में एक गांव है बुडानिया। इस छोटे से गांव की बेटी सरोज कुमारी ने बड़ी उड़ान भरी है। गांव में पली-बढ़ी और सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली इस बेटी ने पहले तो आईपीएस बनकर मिसाल पेश की और अब ड्यूटी निभाते हुए अपने नवाचारों से कमाल कर दिखाया है।
वडोदरा की डीसीपी हैं सरोज कुमारी
गुजरात कैडर की IPS Saroj Kumari वर्तमान में वडोदरा में जोन 4 के डीसीपी पद पर तैनात हैं। आईपीएस सरोज कुमारी ने हाल ही वुमन आइकन अवार्ड जीता है। यह अवार्ड इन्हें 'समझ स्पर्श की' अभियान के लिए दिया गया है। अभियान के तहत बच्चों को यौन उत्पीड़न के बारे में जागरूक किया जा रहा है। 'वूमन इन यूनीफ्रोम' श्रेणी में पुरस्कार जीतकर आईपीएस सरोज कुमारी ने न केवल गुजरात बल्कि राजस्थान का नाम भी रोशन किया है।
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क्या है समझ स्पर्श की अभियान
Vadodara Dcp बनने के बाद आईपीएस सरोज कुमारी ने बाल यौन शोषण मुक्त समाज की दिशा में मुहिम शुरू करने की ठानी। बच्चों को गुड टच, बैड टच की सीख देने के लिए 19 जुलाई 2018 को समझ स्पर्श की अभियान (Samajh Sparsh Ki Campaign) की शुरुआत की गई। अब तक अभियान से वडोदरा महिला पुलिस विभाग की 12 पुलिसकर्मियों के अलावा 800 आंगनवाड़ी वर्कर, 500 कॉलेज छात्र, 80 स्कूल के 400 शिक्षक जुड़ चुके हैं।
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samajh sparsh ki ऑनलाइन पाठशाला
अभियान के जरिए ऑफ लाइन और ऑनलाइन पाठशाला शुरू करके बाल यौन शोषण को लेकर जागरुकता फैलाई जा रही है ताकि कोई भी मासूम किसी की बुरी नीयत का शिकार नहीं हो सकें। समझ स्पर्श की अभियान की टीम ने वडोदरा शहर में 100,000 बच्चों, 46,000 अभिभावकों, 300 शिक्षकों और 80 स्कूलों को कवर किया है। साथ ही सुरक्षा सूत्र प्लेयिंग कार्ड भी लॉंच किए गए है, जिन पर क्यूआरडी कोड छपा हुआ है। कोड को मोबाइल में स्कैन करने पर बच्चों की सुरक्षा से संबंधित वीडियो भी देखा जा सकता है।
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इससे पहले संवारी बोटाद सेर्क्स वर्कर्स की जिंदगी
जनवरी 2016 में सरोज कुमारी गुजरात के बोटाद जिले की पुलिस अधीक्षक थीं। इस दौरान भी इन्होंने सामाजिक बदलाव की दिशा में बड़ी पहल की और वहां जिस्मफरोशी के दलदल में फंसी महिलाओं की जिंदगी संवारी। बोटाद की एसपी बनकर आईं सरोज कुमारी को जब पता कि जिले की गधडा तहसील के एक गांव में कई महिलाएं जिस्मफरोशी के दलदल में फंसी हुई हैं। उनको गंदे काम से छुटकारा दिलाकर समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए एसपी सरोज कुमारी ने उज्जवला योजना शुरू की, जिसके तहत समझाइश के बाद 30 से ज्यादा महिलाएं ने जिस्मफरोशी छोड़ दी और योजना के तहत उन्हें बतौर रोजगार सिलाई मशीन उपलब्ध करवाई, जिसके जरिए वे अपना परिवार पालने लगी।
लेडी सिंघम की छवि बनी
बतौर बोटाद एसपी सरोज कुमारी की छवि तब लेडी सिंघम (Lady Singhm Saroj Kumari IPS) की बनी थी। दरअसल, वर्ष 2011 कैडर की आईपीएस सरोज कुमारी ने बोटाद एसपी रहते हुए न केवल सेक्स वर्कर्स की जिंदगी संवारी बल्कि जिले में फिरौती व वसूली करने वाले कई गिरोह को सलाखों के पीछे भी पहुंचाया था।