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Saroj Kumari : गुजरात में पोस्टेड राजस्थान की IPS बेटी सरोज कुमारी को कोविड महिला योद्धा अवार्ड

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झुंझुनूं। राजस्थान की आईपीएस बेटी सरोज कुमारी ने एक बार फिर प्रदेश का मान बढ़ाया है। गुजरात कैडर की आईपीएस सरोज कुमारी को कोविड-19 महिला योद्धा अवार्ड मिला है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपने 29वें स्थापना दिवस पर 31 जनवरी को दिल्ली स्थि​त विज्ञान भवन में उनको अवार्ड प्रदान किया है।

क्या है कोविड-19 महिला योद्धा अवार्ड?

क्या है कोविड-19 महिला योद्धा अवार्ड?

कोरोना महामारी की वजह से दुनियाभर के लोगों ने साल 2020 में सबसे मुश्किल वक्त देखा। इस दौरान स्वास्थ्य, सफाई और पुलिस श्रेणी में बेहरतीन कार्य करने वाली प्रत्येक स्टेट की तीन-तीन महिलाओं को राष्ट्रीय महिला आयोग ने कोविड-19 महिला योद्धा अवार्ड के लिए चुना था। गुजरात पुलिस में यह अवार्ड प्राप्त करने वाली आईपीएस सरोज कुमारी इकलौती अधिकारी हैं।

आईपीएस सरोज कुमारी को क्यों मिला अवार्ड?

वन इंडिया हिंदी से बातचीत में आईपीएस सरोज कुमारी ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान पुलिस रसोई, वरिष्ठ निर्भयम और पुलिस परिवार की बहनों को लोगों की सेवा के जरिए रोजगार मुहैया करवाने के कार्यों की बदौलत कोविड-19 महिला योद्धा अवार्ड मिला है। यह अवार्ड उन सभी महिला साथी पुलिसकर्मियों को समर्पित है, जिन्होंने कोरोना महामारी के मुश्किल वक्त में नियमित ड्यूटी के साथ-साथ जनसेवा भी की।

क्या थी सरोज कुमारी की 'पुलिस रसोई'?

क्या थी सरोज कुमारी की 'पुलिस रसोई'?

कोरोना महामारी के समय सरोज कुमारी गुजरात के वडोदरा में बतौर डीसीपी (एडमिन हेडक्वार्टर) कार्यरत थीं। 25 मार्च से देशभर में लॉकडाउन शुरू हुआ तो इन्हें महसूस हुआ कि वडोदरा में सड़क किनारे, कच्ची बस्ती, ओवरब्रिज आदि के नीचे रहने वाले बेघर लोगों के सामने पेट भरने की नौबत आ गई थी। वे भूखे सोने को मजबूर हुए तो सरोज कुमारी ने पुलिस की वुमन सेल की आठ महिला पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर 'पुलिस रसोई' शुरू की और उन जरूरतमंद लोगों तक भोजन पहुंचाया शुरू किया।

 रोजाना छह सौ जरूरतमंद लोगों को भोजन

रोजाना छह सौ जरूरतमंद लोगों को भोजन

आईपीएस सरोज कुमारी बताती हैं कि मार्च में पुलिस रसोई की शुरुआत हमने अपने स्तर पर की थी। फिर पुलिस अधिकारियों, थानाधिकारियों व अन्य मददगारों ने भी आटा, चावल, तेल, मसाला उपलब्ध करवाया। वडोदरा पुलिस की वुमन सेल की आठ पुलिसकर्मी अपनी आठ घंटे की नियमित ड्यूटी बाद फिर खुद अपने हाथों से भोजन तैयार करके पैकेट बना देती थीं, जो गश्त पर जाने वाली पुलिस गाड़ियों के जरिए जरूरतमंदों तक पहुंचाए जाते थे। सम्पूर्ण लॉकडाउन के दौरान रोजाना छह सौ लोगों का पेट 'पुलिस रसोई' से भरा।

 भोजन की उम्मीद में इंतजार करते मिलते थे लोग

भोजन की उम्मीद में इंतजार करते मिलते थे लोग

वुमन सेल के हेल्प लाइन नंबर समेत पुलिस कंट्रोल रूम में भी लोग फोन करके भोजन की जरूरत के बारे में सूचना देते थे, जिन्हें भोजन उपलब्ध करवाते थे। इसके लिए पूरे वडोदरा में चिहिन्त की गई 12 जगहों पर पुलिस की गाड़ी पहुंचने पर लोग हाथों में बर्तन लिए भोजन का इंतजार करते मिलते थे। पुलिस की यह रसोई 11 जून 2020 तक चली है। फिर अनलॉक-1 की शुरुआत होने के साथ ही लोग अपने स्तर पर ही भोजन की व्यवस्था करने लग गए थे।

 वरिष्ठ निर्भयम व पुलिस बहनों को रोजगार

वरिष्ठ निर्भयम व पुलिस बहनों को रोजगार

पुलिस रसोई के अलावा 'वरिष्ठ निर्भयम' योजना के जरिए वडोदरा में अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों का विशेष ख्याल रखा गया, क्योंकि उन्हें कोरोना से अधिक खतरा था। उन लोगों तक न केवल नियमि​त रूप से भोजन के पैकेट पहुंचाए बल्कि उन्हें मानसिक तौर पर सपोर्ट करने के लिए उनकी मनोचिकित्सक से भी बात करवाते थे। इसके अलावा पुलिस परिवार की बहनों से मास्क बनवाकर लोगां को मुहैया करवाए गए। मास्क बनाने के लिए उन बहनों को वेलफेयर से मेहताना भी दिलवाया गया।

झुंझुनूं के गांव बुडानिया की रहने वाली हैं सरोज कुमारी

झुंझुनूं के गांव बुडानिया की रहने वाली हैं सरोज कुमारी

बता दें कि वर्ष 2011 के गुजरात कैडर की आईपीएस सरोज कुमारी मूलरूप से राजस्थान के झुंझुनूं जिले के चिड़ावा उपखंड के गांव बुडानिया की रहने वाली हैं। ये सरकारी स्कूल में पढ़कर पुलिस अधिकारी बनी हैं। वडोदरा से इनका ट्रांसफर सूरत हो चुका है। यहां पर भी ये डीसीपी (एडमिन हेडक्वार्टर) हैं। इससे पहले बोटाद जिले में एसपी रहते इन्होंने फिरौली, वसूली करने वाले गिरोह के खिलाफ कार्रवाई की और दजर्नों महिलाओं को देह व्यापार के दलदल से निकाल कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा।

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English summary
IPS Saroj Kumari Received covid-19 Woman Warrior Award for Gujarat Police Kitchen
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