रेगिस्तान में 2 माह बाद अब खत्म हुई भारतीय सेना की जोर-अजमाइश, 450 टैंक और 40000 फौजी शामिल हुए
जैसलमेर. भारतीय सेना की स्ट्राइक कोर 'सुदर्शन चक्र' का थार के रेगिस्तान में चल रहा युद्धाभ्यास सिंधु सुदर्शन अब समाप्त हो चुका है। पिछले 2 माह से जारी इस युद्धाभ्यास में 40 हजार से अधिक सैनिकों के साथ सेना ने कई तरह के आधुनिक हत्यारों की क्षमता के साथ नई तकनीक को आजमाया। इस दौरान सेना ने अपनी सैन्य टुकड़ियों के अलग-अलग समूह बनाकर उन्हें रणक्षेत्र में परखा। सेना के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, इस युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य यही था कि अलग-अलग समूहों में बंटी सैन्य टुकड़ियां किस तरह आपस में तालमेल बनाए रखते हुए दुश्मन पर एक साथ अलग-अलग दिशा से भीषण प्रहार करें।
400 से ज्यादा टैंक शामिल हुए, धूल ही धूल उड़ती रही
सिंधु सुदर्शन युद्धाभ्यास के दौरान थलसेना के साथ वायुसेना ने भी अपनी ताकत का अहसास कराया। रेगिस्तान में 450 टैंक, हजारों तोप और रॉकेट लांचर इस्तेमाल किए गए। देसी और विदेशी हेलिकॉप्टरों को भी शामिल किया गया। यह युद्धाभ्यास कई किलोमीटर के दायरे में हुआ, जिसमें पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम लाया गया। साथ ही ड्रोन, देश में विकसित हल्के लड़ाकू चॉपर ध्रुव का भी इस्तेमाल किया गया।
ले. जनरल एसके सैनी बोले- हर चुनौती से निपटने में सक्षम
संवाद सूत्रों ने बताया कि युद्धाभ्यास के अंतिम 2 दिन तक दक्षिण कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी ने सैन्य तैयारियों को परखा। उन्होंने कहा कि हमारी कॉर्प्स दुश्मन की हर चुनौती से निपटने में सक्षम है। वहीं, सुदर्शन चक्र के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने भी युद्धाभ्यास के संचालन की देखरेख की।
पश्चिमी मोर्चे पर सेना के संचालन की योजनाओं को परखा
थल सेना के प्रवक्ता कर्नल सोंबित घोष ने बताया कि सिंधु सुदर्शन युद्धाभ्यास में पश्चिमी मोर्चे पर सेना की संचालन योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण अवधारणाओं को मान्य किया गया।अभ्यास के दौरान रेडियो ट्रंक सिस्टम और उपग्रह आधारित संचार को भी प्रदर्शित किया गया।
टी-90 टैंकों और K-9 वर्जा गन का इस्तेमाल
थलसेना ने टी-90 टैंकों, बीएमपी के साथ स्वदेश निर्मित K-9 वर्जा गन और 130 एमएम गन, 105 एमएम गन आदि के माध्यम से अपनी मारक क्षमता साबित की।
हवाई और भूमि आधारित सेंसर की टीम मैदान में रही
निगरानी और नेटवर्क केंद्रितता पर जोर देने के साथ कमांडरों के लिए एक व्यापक सामरिक तस्वीर हासिल करने के लिए हवाई और भूमि आधारित सेंसर की एक भीड़ को मैदान में रखा गया था।
फौजियों ने दो महीनों में व्यापक प्रशिक्षण लिया
इस एकीकृत अभ्यास में मशीनी बलों, इन्फैंट्री, आर्टिलरी और अन्य बल के गुणकों जैसे ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सिस्टम को सफलतापूर्वक आजमाया गया। अभ्यास में भाग लेने वाले विभिन्न युद्ध समूहों ने अपनी परिचालन योजनाओं को मान्य करने के लिए पिछले दो महीनों में व्यापक प्रशिक्षण लिया।
सुखोई, मिग और जगुआर विमानों ने गोले दागे
रक्षा प्रवक्ता कर्नल सोंबित घोष के मुताबिक, वायुसेना ने ठिकानों को नष्ट करने के लिए सुखोई, मिग, जगुआर और रूद्र आदि विमानों का प्रयोग किया।
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