जब करोड़ों रुपए के नोटों पर एक साथ छापा गया भारत और पाकिस्तान का नाम, जानिए क्यों?
जब करोड़ों रुपए के नोटों पर एक साथ छापा गया भारत और पाकिस्तान नाम, जानिए क्यों
कोटा। भारत और पाकिस्तान की दुश्मनी जग जाहिर है। पाक ने जब-जब भी भारत के खिलाफ नापाक हरकतें की हैं तब-तब उसे मुंह की खानी पड़ी है, मगर 15 अगस्त 2019 के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जानिए एक वक्त के बारे में जब भारत और पाकिस्तान का नाम एक साथ एक ही नोट पर छापा गया था।
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रुपए के एक ही नोट पर भारत और पाकिस्तान दोनों की ही सरकारों के नाम चौंकाने वाले हो सकता हैं, लेकिन आजादी के तत्काल बाद ऐसा वक्त भी रहा है, जब दोनों ही देशों की एक मुद्रा थी और पाकिस्तान को भारत के रुपए पर अपनी सरकार का नाम छपवा कर काम चलाना पड़ा था। यानी भारत में छपे नोटों से पाकिस्तान में कारोबार हुआ करता था। मीडियो रिपोर्टर्स की मानें तो राजस्थान के कोटा निवासी नरेन्द्र जैरथ के पास एक ही नोट भारत पाकिस्तान नाम छपे रुपए का संग्रहण है। उस जमाने की यह ऐसी दुर्लभ मुद्रा थी, जो भारत में भी चली और पाकिस्तान में भी।
भारतीय रुपए से चले थे पाक के बाजार
इतिहास के जानकारों के अनुसार 15 अगस्त 1947 को भारत सरकार के खजाने में 155 करोड़ रुपए थे, जिन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच बराबर बांटा गया था। भारत को 75 करोड़ की राशि पाकिस्तान को देनी थी। इसमें से 20 करोड़ पहले दे दिए गए और बाकी के 55 करोड़ की राशि बाद में दी गई। इस राशि में एक रुपए के नोट भारतीय रिजर्व बैंक ने छापे थे। इन पर गर्वंमेंट ऑफ इंडिया छपा हुआ था। जिस पर भारत सरकार के वित्त सचिव के हस्ताक्षर थे। इन नोटों को पाकिस्तान में भेजे जाने के कारण अलग से पाकिस्तान सरकार शब्द भी अंग्रेजी और उर्दू में छापा गया।
दो रुपए का नोट भी भारतीय रिजर्व बैंक ने छापा था। इस पर भी अंग्रेजी और उर्दू में पाकिस्तान सरकार छापा गया। ऐसे नोट पाकिस्तान में जारी किए गए। वे वहां से लोगों के हाथों में होते हुए भारत भी आए। कोटा के डाक टिकट संग्रहक नरेन्द्र जैरथ के पास ऐसे अनेक दुर्लभ नोट संरक्षित हैं। इन नोटों पर किंग जार्ज का फोटो भी लगा हुआ था। आजादी के वक्त देश में नोट छापने की मशीन भी एक ही थी। यह मशीन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास थी। जिसे आजादी के बाद पाकिस्तान को देने से इनकार कर दिया गया था। आजादी के समय पाकिस्तान खुद अपने नोट छापने की स्थिति में नहीं था।
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