राजस्थान न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

ये है राजस्थान में ऊंटों से प्यार करने वाली वो जर्मन महिला जो 'बूटी बाइसा' के नाम से हो रही फेमस

By विश्वनाथ सैनी
Google Oneindia News

पाली। राजस्थान में 'बूटी बाइसा' के नाम से फेमस हो रही इस गोरी मेम की कहानी बेहद रोचक और प्रेरणादायक है। यह रेगिस्तान के जहाज व राजस्थान के राज्य पशु ऊंट को बचाने की जंग लड़ रही है। वो भी सरकार से इत्तर। अपने दम पर। इनका नाम है डॉ. इल्से कोहलर रोल्फसन। वन इंडिया हिंदी से खास बातचीत में जर्मनी की इल्से ने बयां की अपनी 30 साल की वो जिंदगी जो इन्होंने राजस्थान में ऊंटों के संरक्षण व पशुपालकों को उनका हक दिलाने के लिए खपा दी।

पीएचडी करने आई, यहीं की होकर रह गईं

पीएचडी करने आई, यहीं की होकर रह गईं

जर्मनी की इल्से से राजस्थान की 'बूटी बाइसा' बनने की कहानी की शुरुआत वर्ष 1990 से हुई। तब 37 वर्षीय दुबली-पतली सी इल्से ऊंटों पर पीएचडी रही थी। इसी सिलसिले में इल्से भारत आईं और शोध करने के लिए ऊंट बाहुल्य राज्य राजस्थान को चुना। फिर यहीं की होकर रह गईं। शुरुआत में हिंदी व मारवाड़ी भाषा को लेकर दिक्कत होने पर इन्होंने जोधपुर के हनुमंत सिंह राठौड़ को बतौर ट्रांसलेटर साथ रखा। अब भाषा की कोई दिक्कत नहीं।

Ajmer : अंतिम संंस्कार के 20 दिन बाद घर जिंदा पहुंचा युवक, अब समस्या ये कि जो मरा वो कौन था?Ajmer : अंतिम संंस्कार के 20 दिन बाद घर जिंदा पहुंचा युवक, अब समस्या ये कि जो मरा वो कौन था?

पशुपालकों को बांटे एक हजार इंजेक्शन

पशुपालकों को बांटे एक हजार इंजेक्शन

राजस्थान आने के बाद इल्से कोहलर रोल्फसन ट्रांसलेटर हनुमंत सिंह को साथ लेकर राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र बीकानेर (एनआरसीसी), राइका समाज के डॉ. देवराराम देवासी और बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली, भीलवाड़ा, अलवर और दौसा आदि जिलों के पशुपालकों से मुलाकात की। तब इन्हें पशुपालकों की समस्याएं और ऊंटों में फैल रही कई बीमारियों का पता चला। इल्से कोहलर ने अमेरिकी स्कॉलरशिप, जर्मन एम्बेसी और दोस्तों से रुपयों की व्यवस्था कर पाली जिले की राइका की ढाणी में व आस-पास के क्षेत्रों में ऊंटों के लिए एक हजार इंजेक्शन बंटवाए। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

Deshnok: देश में करणी माता का इकलौता ऐसा मंदिर जहां रहते हैं 20 हजार चूहे, जानिए चूहों वाली देवी के बारे मेंDeshnok: देश में करणी माता का इकलौता ऐसा मंदिर जहां रहते हैं 20 हजार चूहे, जानिए चूहों वाली देवी के बारे में

देश की पहली कैमल मिल्क डेयरी खोली

देश की पहली कैमल मिल्क डेयरी खोली

वर्ष 1996 में इल्से कोहलर ने हनुवंतसिंह राठौड़ के साथ मिलकर पाली जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर सादड़ी कस्बे में लोकहित पशु पालक संस्थान का गठन किया। फिर ऊंटों के स्वास्थ्य, नस्ल सुधार, प्रजनन और पशुपालकों के हक दिलाने में जुटी। सादड़ी में देश की पहली कैमल मिल्क डेयरी खोली। साथ ही ऊंटनी के दूध से उत्पाद भी बनाने शुरू किए, जिनमें घी, चीज व साबुन आदि शामिल हैं। इसके अलावा 2009 में ऊंटों के मींगणों से पेपर बनाने का प्लांट लगाया और ऊंट की ऊन से शॉल, दरी, कारपेट आदि का कच्चा माल तैयार करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया।

शादी के बाद मायके आई प्रेमिका के साथ रात को प्रेमी ने वो किया जो किसी को नहीं करना चाहिएशादी के बाद मायके आई प्रेमिका के साथ रात को प्रेमी ने वो किया जो किसी को नहीं करना चाहिए

कैमल करिश्मा के जरिए दूसरे शहरों में पहुंचाया दूध

कैमल करिश्मा के जरिए दूसरे शहरों में पहुंचाया दूध

वर्ष 2015 में लोकहित पशु पालक संस्थान सादड़ी पाली में कैमल करिश्मा नाम से कंपनी खोली, जिसका मकसद राजस्थान से ऊंटों का दूध एकत्रित कर दिल्ली, बंगलौर, मुम्बई व हैदराबाद भेजना शुरू किया। ऊंट का दूध मंदबुद्धि बच्चों की सेहत के लिए सर्वोत्तम है। 250 से 300 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से ऊंट के दूध की मांग बढ़ती जा रही है। इल्से इस बात से सबसे अधिक दुखी है कि राजस्थान में ऊंटों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। बीस साल पहले तक प्रदेश में 10 से 15 लाख ऊंट थे जो अब घटकर तीन लाख के आस-पास रह गए हैं।

SIKAR : 21 साल की यह लड़की हर साल कमाती है 35 लाख रुपए, 12 साल की उम्र में पास की 12वीं कक्षाSIKAR : 21 साल की यह लड़की हर साल कमाती है 35 लाख रुपए, 12 साल की उम्र में पास की 12वीं कक्षा

नारी शक्ति समेत कई अवार्ड मिले इल्से को

नारी शक्ति समेत कई अवार्ड मिले इल्से को

राजस्थान में ऊंटों के अस्तित्व को बचाए रखने में जुटी इल्से को कई अवार्डों से भी नवाजा जा चुका है। 2004 में स्विट्जरलैंड का रोलेक्स अवार्ड, 2014 में जोधपुर के शाही परिवार की ओर से मारवाड़ रत्न अवार्ड, 2016 में नारी शक्ति राष्ट्रपति अवार्ड और 2017 में जर्मनी के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। बता दें कि 67 वर्षीय इल्से जुड़वा बेटा-बेटी की मां है। दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है। इल्से के पति व बेटा-बेटी का परिवार भी अक्सर राजस्थान आता रहता है।

कहानी एसिड पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल की : 'घर से सारे शीशे और फ्रेम हटा दिए, ताकि मैं सुसाइड ना कर लूं'कहानी एसिड पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल की : 'घर से सारे शीशे और फ्रेम हटा दिए, ताकि मैं सुसाइड ना कर लूं'

पशुपालक इसलिए बोलते हैं इन्हें बूटी बाइसा

पशुपालक इसलिए बोलते हैं इन्हें बूटी बाइसा

राजस्थान में ऊंटों के अस्तित्व को बचाए रखने में जुटी इल्से को कई अवार्डों से भी नवाजा जा चुका है। 2004 में स्विट्जरलैंड का रोलेक्स अवार्ड, 2014 में जोधपुर के शाही परिवार की ओर से मारवाड़ रत्न अवार्ड, 2016 में नारी शक्ति राष्ट्रपति अवार्ड और 2017 में जर्मनी के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। बता दें कि 67 वर्षीय इल्से जुड़वा बेटा-बेटी की मां है। दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है। इल्से के पति व बेटा-बेटी का परिवार भी अक्सर राजस्थान आता रहता है।

कहानी एसिड पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल की : 'घर से सारे शीशे और फ्रेम हटा दिए, ताकि मैं सुसाइड ना कर लूं'कहानी एसिड पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल की : 'घर से सारे शीशे और फ्रेम हटा दिए, ताकि मैं सुसाइड ना कर लूं'

Comments
English summary
Ilse Kohler Rollefson from german working in Rajasthan for Save Camel
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X