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Dev chaudhary IAS : कहानी बॉर्डर इलाके के लड़के की जो 3 बार फेल होने के बाद बना आईएएस

By दुर्गसिंह राजपुरोहित
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बाड़मेर। 'आजकल के युवा ख्वाब तो बड़ा देखते हैं, मगर असफलता से टूट जाते हैं। फिर मेहनत करना छोड़ देते हैं। किस्मत को दोष देने लग जाते हैं। जबकि हर एक असफलता ही सफलता के रास्ते खोलती है। मंंजिल पाने की राह को और आसान बना देती है' यह कहना है कि राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर के IAS देव चौधरी का।

गुजरात के कैडर के आईएएस हैं देव कुमार

गुजरात के कैडर के आईएएस हैं देव कुमार

इनकी सक्सेस स्टोरी की युवाओं के लिए प्रेरणादायी है। तीन बार लगातार फेल हुए, मगर हिम्मत नहीं हारी। नतीजा आज ये गुजरात कैडर 2016 के आईएएस हैं। वहां सचिवालय में स्वच्छ भारत मिशन के डायेरक्टर के रूप में कार्यरत हैं। 30 वर्षीय देव चौधरी ने वन इंडिया​ हिंदी से बातचीत में बयां किया भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित बाड़मेर के नोख गांव से आईएएस बनने तक का वो सफर जिसमें हर असफलता इन्हें मजबूत बनाती गई।

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 देव कुमार की पहली चुनौती थी हिंदी मीडियम

देव कुमार की पहली चुनौती थी हिंदी मीडियम

गांव नोख से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद देव कुमार बाड़मेर जिला मुख्यालय पर आ गए। बाड़मेर कॉलेज से बीएससी की डिग्री हासिल की। फिर सिविल ​सर्विस में जाने का मन बनाया, मगर शुरुआत में ही दिक्कत यह आई कि देव कुमार ने हिंदी मीडियम से पढ़ाई ​की थी। यूपीएससी की तैयारी के लिए अच्छा स्टडी मैटेरियल इंग्लिश में होने के कारण इंग्लिश को भी अच्छे से सीखना हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी के सामने एक चुनौती की तरह था और उसको पार भी किया।

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 देव कुमार की असफलताएं व कामयाबी

देव कुमार की असफलताएं व कामयाबी

1. वर्ष 2012 में पहले ही प्रयास में यूपीएससी प्रीलिम्स पास कर लिया, लेकिन मेंस नहीं निकाल पाए।

2. वर्ष 2013 में फिर प्रयास किया। इस बार प्रीलिम्स के साथ-साथ मेंस
में भी पास हो गए, लेकिन अंतिम रूप से चयन नहीं हुआ।
3. शुरुआती दो असफलताओं से हिम्मत नहीं हारी। कुछ नया सीखा। खुद में सुधार किया और फिर प्रयास किया। वर्ष 2014 में अंतिम चयन भी हो गया, लेकिन सर्विस में आईएएस का जो सपना था, वह पूरा नहीं हुआ।
4. अब तक फेल होने पर देव कुमार के पास बहुत अच्छा अनुभव हो गया था। वर्ष 2015 में चौथी बार प्रयास किया और इस बार आईएएस बन गए।

आईएएस देव कुमार का परिवार

आईएएस देव कुमार का परिवार

देव कुमार बताते हैं कि पिताजी सुजानाराम शिक्षक थे। आर्थिक दिक्कतों का सामना तो नहीं करना पड़ा, मगर बार बार की असफलताओं ने तोड़ दिया था। पिताजी और दोस्तों ने हिम्मत नहीं हारने दी। तीन भाई-बहनों में देव कुमार सबसे छोटे हैं। दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी की थी।

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English summary
IAS Dev chaudhary From naukh barmer Rajasthan Success Story
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