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जानिए कैसे अब अशोक गहलोत साबित हो सकते हैं कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा खतरा

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जयपुर, 26 सितंबर। कांग्रेस पार्टी के सामने राजस्थान एक बड़ा संकट लेकर सामने आया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक में जिस तरह से तकरीबन 70 विधायकों ने इस्तीफा दिया और उसके बाद राजनीतिक संकट और गहरा गया है। अहम बात यह है कि राजस्थान कांग्रेस के भीतर यह सब ऐसे वक्त में हो रहा है, जब कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है, सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा चल रही है। अगले महीने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है और राजस्थान में अगले साल विधान सभा चुनाव होना है।

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गहलोत को एक पद, एक व्यक्ति मंजूर नहीं

गहलोत को एक पद, एक व्यक्ति मंजूर नहीं

दिलचस्प बात यह है कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ने जा रहे हैं, ऐसे में वह पार्टी के सबसे ताकतवर नेता के तौर पर खुद को स्थापित कर सकते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वह खुद को स्थापित करना चाहते हैं या फिर कांग्रेस पार्टी को। उदयपुर में जब कांग्रेस का चिंतन शिविर हुआ था तो यह तय हुआ था कि पार्टी में एक व्यक्ति एक पद ही होगा। केरल में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी राहुल गांधी ने इसी बात को दोहराया था कि हम इस फैसले पर अडिग हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि अशोक गहलोत को यह मंजूर नहीं है।

गहलोत दोनों पदों पर बने रहना चाहते हैं

गहलोत दोनों पदों पर बने रहना चाहते हैं

अशोक गहलोत जिस तरह से कई मौकों पर कह चुके हैं कि वह एक साथ दो पदों पर रहकर काम कर सकते हैं उससे साफ है कि खुद अशोक गहलोत की यह मंशा था की वह पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री भी बने रहे। राजस्थान की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले किसी भी व्यक्ति को यह जानकारी होगी कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर सचिन पायलट को नहीं सौपना चाहेंगे। लिहाजा अशोक गहलोत की यह मंशा पहले से ही स्पष्ट थी कि वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहना चाहते थे।

खुद आला कमान ने ही चुना था गहलोत को

खुद आला कमान ने ही चुना था गहलोत को

कांग्रेस के आला कमान के सामने बड़ी चुनौती यह है कि अशोक गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री आला कमान ने ही चुना था। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जब विवाद खुलकर सामने आया था तो उस वक्त भी आला कमान ने अशोक गहलोत का साथ देते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए हरी झंडी दी। ऐसे में अब जब पर्दे के पीछे से अशोक गहलोत इस पूरे सियासी घटनाक्रम को कंट्रोल कर रहे हैं तो क्या कांग्रेस अशोक गहलोत के खिलाफ कार्रवाई कर पाएगी, यह एक बड़ा सवाल है।

आला कमान का भरोसा खो दिया

आला कमान का भरोसा खो दिया

कांग्रेस के सामने एक बड़ा संकट यह भी है कि जब अशोक गहलोत ने आला कमान के साथ अपना भरोसा खो दिया है तो क्या ऐसे समय में उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने दिया जाए। माना जा रहा था कि अशोक गहलोत अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भरने से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे, लेकिन गहलोत ने इस्तीफा दो दूर अपने समर्थक विधायकों को खुली लड़ाई के लिए आगे कर दिया है। गहलोत का समर्थन करने वाले विधायक यहां तक कह चुके हैं कि अशोक गहलोत दोनों पद पर बने रह सकते हैं। एक अन्य विधायक ने यहां तक कहा कि 19 अक्टूबर तक उन्हें मुख्यमंत्री बने रहने देते हैं, कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हो जाने देते हैं, फिर इसके बाद इस बात पर फैसला होगा, कि वह दोनों पद पर रहेंगे या फिर एक पद पर।

क्या हो अगर गहलोत सचिन पायलट के खिलाफ एक्शन लें?

क्या हो अगर गहलोत सचिन पायलट के खिलाफ एक्शन लें?

ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीत जाते हैं और वह सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो ऐसी परिस्थिति में क्या होगा। इस बात की पूरी संभावना है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद वह सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई करें और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दें। ऐसी स्थिति में गांधी परिवार के लिए अलग तरह का संकट खड़ा हो जाएगा और इस पूरी परस्थिति को नियंत्रित करने के लिए उस वक्त शायद ही कोई दूसरा विकल्प बचे।

कांग्रेस के सामने मुश्किल संकट

कांग्रेस के सामने मुश्किल संकट

बहरहाल राजस्थान संकट के बीच कांग्रेस के लिए सबसे जरूरी है कि वह इस स्थिति का सामना करें और अशोक गहलोत को स्पष्ट संदेश दें कि आप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें और विधायकों को इस बात के लिए राजी करें कि आला कमान का जो भी फैसला हो उसे स्वीकार करें। अगर गहलोत ऐसा करने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो निसंदेह उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। पहली या तो उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव से दूर रखा जाए या तो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाए।

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English summary
How Ashok Gehlot can give big dent to congress and prove to be dangerous.
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