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72 साल पहले बिछड़े हिन्दुस्तानी भाई और पाकिस्तानी बहन को वाट्सएप ने मिलाया, वर्ष 1947 से थी तलाश

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श्रीगंगानगर। यह कहानी 1947 में शुरू होती है। आजादी और देश के बंटवारे के वक्त दो भाई-बहन एक-दूसरे से जुदा हो गए। बहन के हिस्से पाकिस्तान आया तो भाई हिन्दुस्तान में रहा। बीते 72 साल में दोनों ने एक-दूसरे को तलाशने की लाख कोशिशें की, मगर हर बार नाकामयाब रहे। वर्ष 2019 बीतते-बीतते इन भाई-बहन के लिए खुशीखबरी आई। वाट्सएप ने दोनों को मिला दिया। अभी वीडियो कॉल के जरिए बात हुई है। जल्द ही मुलाकात भी होने वाली है।

Hindustani brother meet with his Pakistani sister after 72 years by whatsapp

चार-पांच साल की उम्र में बिछड़ी बहन

दरअसल, अक्टूबर 1947 में कश्मीर में हुए कबायली हमले के दौरान कश्मीर के मुजफ्फराबाद जिले के दुदरवैना गांव के लंबरदार मतवाल सिंह का परिवार भी प्रताड़ित हुआ था। कबायली हमले के दौरान लंबरदार मतवाल सिंह के परिवार को भी अपना गांव छोड़ना पड़ा और उसी दौरान लंबरदार मतवाल सिंह की 4-5 वर्षीय पोती बूजो उर्फ शकीना शेख परिवार से बिछड़ गई।

भारत सरकार द्वारा कबायली हमले के दौरान विस्थापित 500 परिवारों को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में बसाया गया, जिनमें से 367 परिवार आज श्रीगंगानगर जिले में रह रहे हैं। उन्हीं परिवारों में से एक लंबरदार मतवाले सिह का भी परिवार श्रीगंगानगर जिले के रायसिंहनगर में रह रहा हैं।

वाट्सएप ग्रुप में चली चर्चा ने मिलाया

बता दें ​कि भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर बसे राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के कई परिवारों का पाकिस्तान के साथ रोटी-बेटी का संबंध रहा। ऐसे में कई वाट्सएप ग्रुप में दोनों तरफ के ​लोग जुड़े हैं। एक वाट्सएप ग्रुप में लंबरदार मतवाल सिंह के पोते रणजीत सिंह ने 1947 में कबायली हमले के दौरान अपनी बड़ी बहन बूजो उर्फ शकीना शेख के बिछ़डने का जिक्र किया। उसी चर्चा ने दोनों भाई बहन का मिला दिया।

तब की बूजो अब बन गई शकीना शेख

इन्हीं परिवारों में से एक एडवोकेट हरपाल सिंह ने बताया कि 72 साल पहले बिछड़े भाई-बहन की सोशल मीडिया के जरिए मुलाकात हुई तो दोनों भाई-बहन के चेहरे चमक उठे। तब की बूजो आज शकीना शेख के नाम से पाक अधिकृत कश्मीर के कुमीकोट गांव में रह रही हैं। दोनों ही भाई बहनों ने सोशल मीडिया के जरिए एक दूसरे को संदेश दिए और अब दोनों के परिवार के सदस्य जल्द से जल्द एक दूसरे से मिलने की ख्वाहिश कर रहे हैं।

करतारपुर में होगी भाई बहन की मुलाकात

पीओके के कुमीकोटी गांव में रह रही शकीना शेख के बेटे जमशेद शेख पाकिस्तान के रावलपिंडी में व्यवसाय करते हैं। उन्होंने भी श्रीगंगानगर के रायसिंहनगर में रह रहे अपने मामा रणजीत सिंह को रावलपिंडी से सोशल मीडिया के मार्फत मैसेज भेज मिलने की इच्छा जताई है। हाल ही खोले गए करतारपुर कोरिडोर की बदौलत अब जल्द ही दोनों भाई-बहन परिवार सहित एक दूसरे से मिल पाएंगे।

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English summary
Hindustani brother meet with his Pakistani sister after 72 years by whatsapp
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