भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पहुंचेगा हिमालय का पानी, 40 करोड़ से 29 सीमा चौकियों तक पहुंचेगा पानी
जैसलमेर, 16 सितम्बर। दूर-दूर तक फैले रेगिस्तान के बीच जीवनदायिनी बनकर आई नहर एक बार फिर बीएसएफ के जवानाें के लिए उपयोगी साबित हो रही है। देश की सीमा पर तैनात जवानों को रखवाली के लिए विषम परिस्थितियों के बीच काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान दूर दराज तक किसी इंसान का नामो निशान तक नहीं है। यहां तक सीमा चौकियों पर देश के रखवालों को पीने के पानी के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है। जिस पर बीएसएफ द्वारा अब जैसलमेर की सभी सीमा चौकियों पर नहर का पानी पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी गई है।
इसके तहत 29 बीओपी व 2 एडीएम बेस तक नहरी पानी पहुंचाने का काम भी शुरू हो गया है। इसके लिए सरकार द्वारा 29 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी गई है। अब पाईप लाइन बिछाने का काम चल रहा है। इसके साथ ही बाकी रही सीमा चौकियों के प्रस्ताव भी सरकार के लिए भिजवा दिए गए हैं। स्वीकृति मिलने के साथ ही सभी बीओपी तक पाईप लाइन के माध्यम से नहर का पानी सुलभ उपलब्ध हो पाएगा।
आपको बता दें कि जैसलमेर से लगती लंबी सीमा पर बीओपी पर कार्यरत जवानों के लिए बीएसएफ द्वारा फिलहाल वाटर टैंकर के माध्यम से पीने के पानी की सप्लाई की जा रही है। हालांकि कुछ बीओपी में ट्यूबवैल के माध्यम से पानी निकाला जा रहा है ताकि वहां पर कार्यरत बीएसएफ के जवानों को पानी मिल सके। जैसलमेर से लगती 472 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 122 सीमा चौकियां है। जिस पर बीएसएफ की दो बटालियन नॉर्थ व साउथ मॉनिटरिंग करती है।
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राजस्थान फ्रंटियर बीएसएफ महानिरीक्षक पंकज घूमर बताते हैं कि इन सीमा चौकियों में से कुछ में ट्यूबवैल खुदे हुए हैं। जवान अपनी प्यास बुझाते हैं, लेकिन अधिकांश बीओपी तक बीएसएफ द्वारा वॉटर टैंकर के माध्यम से पिछले सालों में करोड़ों रूपए खर्च कर दिए गए है। लेकिन अब सीमा चौकियों पर पानी पहुंचाने का स्थाई काम हो रहा है।
ऐसे में बीओपी पर रहने वाले जवानों को हर व्यवस्था अपने स्तर पर ही करनी होती है। हालांकि बीएसएफ द्वारा बीओपी पर टैंकर के माध्यम से पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जाती है। लेकिन विपरीत परिस्थितियां होने पर जवानों को पीने के पानी तक के लिए परेशानी हो सकती है। ऐसे में ही बीएसएफ द्वारा हर बीओपी तक पानी पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि जवानों को विपरीत परिस्थितियों में भी जल संकट का सामना नहीं करना पड़े।