हाथी के जैसा पांव लेकर जिंदगी से जंग लड़ रहा चूरू का राजकुमार, मदद की दरकार
चूरू। 8 साल पहले तक राजकुमार की जिंदगी में सब कुछ सामान्य था। मजदूरी करके परिवार पाल रहा था। बेटे को पढ़ा पा रहा था, मगर अब जिंदगी बिस्तर तक ही सिमटकर रह गई है। परिवार के ख्वाबों को पूरा करने की बजाय खुद ही जिंदगी के लिए जंग लड़ने को मजबूर है।
राजकुमार मूलरूप से राजस्थान के चूरू जिले के रतनगढ़ का रहने वाला है। बीते दो दशक से परिवार के साथ सिरोही में रह रहा है। सिराही में मजदूरी करने वाले राजकुमार की आठ साल पहले घर से लौटते समय साइकिल से गिरने पर जांघ की हड्डी टूट गई थी। डॉक्टरों ने आपरेशन कर रॉड डाल दी थी।
फिर जिन्दगी की गाड़ी जैसे-तैसे चलने लगी। करीब दो साल पूर्व उसकी जिंदगी में फिर दूसरा विकट मोड़ आया। उसके जिस पांव में आपरेशन कर रॉड डाली वह घुटनों से ऊपर सूजने लगा। उसने फिर अस्पताल-दर-अस्पताल चक्कर काटने शुरू कर दिए। वह कभी सिरोही तो कभी उदयपुर तो कभी जोधपुर के अस्पताल गया। धीरे-धीरे सूजन कम होने की बजाय पांव हाथी के पांव जैसा हो गया।
जोधपुर में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में जांच करवाई तो पता चला कि पांव में कैंसर है। अब इसका आपरेशन करवाना अत्यावश्यक है अन्यथा पांव कटवाना पड़ सकता है। दिक्कत यह है कि लंबे समय से बेरोजगार राजकुमार का परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा है। राजकुमार बताते हैं कि उनके पास जो जमा पूंजी थी उसमें से और लोगों से उधार लेकर करीब आठ लाख रुपए खर्च कर चुका हूं। निजी स्कूल में फीस जमा नहीं करवा पाने से बेटे की पढ़ाई छूट गई। वह भी मजदूरी करने लगा है। एक बेटे के अलावा चार बेटियां हैं।
राजकुमार की पत्नी राजूदेवी कहती हैं कि उसके पास गिरवी रखने को भी कुछ नहीं है। खेत-खलिहान या जेवरात आदि होते तो कहीं गिरवी रखकर पति का इलाज करवा लेते। भामाशाह योजना में नाम नहीं है। पति का इलाज तो दूर सात सदस्यों का पेट भरने का ही संकट है।