राजस्थान में ये लड़कियां हैं हॉकी की सबसे 'धाकड़' खिलाड़ी, कई सालों से इन्हें कोई नहीं हरा पाया
जालोर। राजस्थान के जालोर जिले में 360 घरों की आबादी का एक छोटा सा गांव है झाक। यहां की बेटियों ने हॉकी में कामयाबी की वो कहानी लिख दी है, जो हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। खास बात यह है कि इन्होंने बचपन में हॉकी खेलना तो दूर देखा तक नहीं था, मगर स्कूल में जब मौका मिला तो हॉकी थामी और फिर लगातार चार साल तक जिले के किसी स्कूल की टीम इन्हें नहीं हरा पाई।
घर पर कभी चूल्हा-चौका तक ही सीमित रहने वाली इन छात्राओं के चैम्पियन बनने की यह कहानी राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय झाक के शिक्षक राजेन्द्रसिंह परमार के प्रयासों का नतीजा है।
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12 साल से खाली है पीटीआई का पद
दरअसल, झाक गांव के स्कूल में शारीरिक शिक्षक का पद पिछले 12 साल से रिक्त चल रहा है। सात साल पहले शिक्षक बने परमार को झाक के स्कूल में लगाया तो उन्होंने शारीरिक शिक्षक की भूमिका निभाते हुए बेटियों को खेलकूद में भी आगे बढ़ाने के लिए अभिभावकों को घर-घर जाकर पढ़ाई के साथ जीवन में खेल के बारे में भी प्रेरित किया।
मेहनत व लगन से बदल दी सोच
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में शिक्षक राजेन्द्रसिंह परमार बताया कि शुरुआत में तो लगा कि अब तक हाथ सिर्फ में सिर्फ बेलन पकड़ने वालीं ये छात्राएं पता नहीं हॉकी में अच्छा कर पाएंगी भी या नहीं, मगर छात्राओं की मेहनत और लगन ने उनकी यह सोच बदल दी। इनके अलावा छात्रों की भी हॉकी टीम तैयार की।
छात्राएं चार साल व छात्र तीन साल से विजेता
शिक्षक राजेन्द्र सिंह की ट्रेनिंग का नतीजा यह रहा कि झाक गांव की स्कूल की हॉकी टीम पूरे जिले में सबसे 'धाकड़' बन गई। तभी तो यहां की छात्रा टीम ने लगातार चार बार और छात्र टीम ने लगातार तीन बार जिला स्तरीय ट्रॉफी अपने नाम की है।
ग्रामीणों ने कंधों पर उठाकर निकाला जुलूस
छात्राओं की टीम हॉकी में लगातार चौथी बार जीतकर झाक गांव पहुंची तो ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया था। प्रशिक्षक राजेन्द्र सिंह को ग्रामीणों ने कंधों पर उठा लिया था। डीजे से पूरे गांव में जुलूस निकाला गया। बेटियों की जीत के जश्न में पूरा गांव डीजे पर जमकर नाचा था।