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Rajasthan : गांव आलूदा में बना था लाल किले पर फहराया आजाद भारत का पहला तिरंगा, जानिए पूरी कहानी

लाल किले पर फहराया गया आजाद भारत का पहला तिरंगा दौसा के गांव आलूदा में चौथमल बुनकर ने बनाया था

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जयपुर, 13 अगस्‍त। हिंदुस्‍तान को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हुए 15 अगस्‍त 2022 को 75 साल होने जा रहे हैं। इस उपलक्ष्‍य में भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, जो 13 अगस्‍त से शुरू हो चुका है। इसके तहत 15 अगस्‍त तक घर-घर तिरंगा फहराया जा रहा है। दिल्‍ली स्थित लाल किले की प्राचीर से हर साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं। 15 अगस्‍त 1947 को लाल किले के लाहौरी गेट पर तत्‍कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पहला तिरंगा फहराया था।

आजाद भारत के पहले तिरंगे की कहानी

आजाद भारत के पहले तिरंगे की कहानी

क्‍या आप जानते हो कि लाल किले पर आजाद भारत के पहले पीएम द्वारा फहराया गया तिरंगा कहां बना था? किसने इस तिरंगे में रंग भरे और कैसे यह लाल किले तक पहुंचा? कौन थे वो बुनकर जो इस ऐतिहासिक ध्‍वज को बनाने के साक्षी बने? उन्‍हें ही यह तिरंगा बनाने का अवसर क्‍यों मिला? इन सारे सवालों के जवाब राजस्‍थान के दौसा जिले ग्राम आलूदा में हैं। यहां के चौथमल बुनकर वो शख्‍स थे, जिनके हाथों भारत के पहले स्वतंत्रता दिवस के राष्‍ट्रीय ध्‍वज तिरंगे ने आकार लिया।

दौसा सांसद ने शेयर किया वीडियो

दौसा की भाजपा सांसद जसकौर मीणा ने आज 13 अगस्‍त को अपने ट्विटर हैंडल पर वीडियो शेयर कर उस ऐतिहासिक पल की यादा ताजा की है। सांसद मीणा ने लिखा कि क्‍या आप जानते हो? राजस्थान के दौसा जिला स्थित ग्राम आलूदा के बुनकरों द्वारा तैयार किया गया राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा ही आजाद भारत में लाल किले पर पहले तिरंगे के रूप में फहराया गया था।

 आलूदा के चौथमल ने बनाया था वो तिरंगा

आलूदा के चौथमल ने बनाया था वो तिरंगा

राजस्‍थान के दौसा जिले में तिरंगा बनाए जाने की कहानी कुछ यूं है कि आजादी की लड़ाई के वक्‍त खादी के कपड़ों की काफी मांग थी। देशभर में बड़ी संख्‍या में बुनकर खादी के कपड़े बनाया करते थे। उन्‍हीं में से एक थे चौथमल बुनकर जो दौसा जिला मुख्‍यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित गांव आलूदा के रहने वाले थे। यहां पर खादी आश्रम बना हुआ है।

देशभर से आए थे चार तिरंगे

देशभर से आए थे चार तिरंगे

मीडिया की खबरों में दावा किया जाता है कि 15 अगस्‍त 1947 को भारत आजाद होने वाला था। इसलिए देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से चार तिरंग बनकर आए थे। उन्‍हीं में से एक तिरंगा वो था दौसा के गांव आलूदा के खादी ग्रामाद्योग में बनकर चौथमल द्वारा दो माह की मेहनत करके बनाया गया था। चौथमल द्वारा बनाए गए तिरंगे को स्वतंत्रता सेनानी देशपांडे और टाट साहब ने गोविंदगढ़ व अलवर होते दिल्‍ली पहुंचाया था, जो बाद में पहले स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर पर फहराया गया था।

 चौथमल बुनकर करते थे दावा

चौथमल बुनकर करते थे दावा

यह बात भी है कि चौथमल बुनकर द्वारा तैयार किया गया तिरंगा ही लाल किले पर फहराया गया था या जो अन्‍य तीन और तिरंगे आए उनमें से कोई एक था। इसकी कभी पुष्टि नहीं हो पाई, लेकिन देश की आजादी के बाद समय-समय पर चौथमल बुनकर को राष्ट्रीय स्तर पर याद किया गया। वे खुद भी इस बात का दावा करते थे कि उनके द्वारा बनाया गया तिरंगा ही पहली बार लाल किले पर फहराया गया था।

चिरंजीलाल बुनकर ने की पुष्टि

चिरंजीलाल बुनकर ने की पुष्टि

दौसा सांसद जसकौर मीणा की ओर से अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किए गए वीडियो में आलूदा ग्राम के बुनकर चिरंजीलाल इस बात की पुष्टि करते हैं कि आलूदा में बनाए गए खादी के कपड़े से बना तिरंगा ही आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री ने लाल किले पर फहराया था, जो पूरे राजस्‍थान के लिए गर्व की बात है।

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English summary
first tiranga hoisted on Red Fort made by Chauthmal weavers in village Aluda of Dausa
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