राजस्थान: मोबाइल के जरिए कोई भी पार्टी नहीं कर सकेगी अपना चुनाव प्रचार
जयपुर। विधानसभा चुनावों को लेकर निर्वाचन आयोग ने मोबाइल कंपनियों पर नकेल कस दी है। आयोग ने सभी मोबाइल ऑपरेटरों से कहा है कि वे बिना इजाजत किसी भी राजनीतिक पार्टी, गैर सरकारी संस्था, संबंधित संस्था, तथा राजनीतिक व्यक्ति से संबंधित विज्ञापन बिना इजाजत जारी नहीं करें। अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि कुछ जगह से यह शिकायतें मिल रही हैं कि टेलीफोन, मोबाइल फोन के द्वारा ऐसे विज्ञापन आम जनता के बीच में प्रसारित किए जा रहे हैं। देखा जा रहा है कि रिंगटोन-कॉलर टोन के द्वारा भी कुछ लोग अपना प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उन्होंने निर्देशित किया है बिना अधिप्रमाणित किए हुए चुनाव संबंधी विज्ञापनों को तुरन्त रोका जाए।
राजनीतिक पार्टियों के मद्देनजर किया गया फैसला
अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. जोगाराम ने भारत संचार निगम लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक तथा रिलायन्स टेलीकम्यूनिकेशन, टाटा इण्डिकॉम, वोडाफोन, एयरटेल व एयरसेल के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को पत्र लिखकर इस बारे में निर्देशित किया है। डॉ. जोगाराम ने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल, स्वयं सेवी संस्था अथवा व्यक्ति बिना सक्षम स्तर से अधिप्रमाणित किए ऐसे विज्ञापन जारी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने चेतावनी जारी की है कि बिना सक्षम समिति के अधिप्रमाणन के कोई भी विज्ञापन फोन, एसएमएस, रिंग टोन अथवा कॉलर टोन की श्रेणी में जारी नहीं किया जाएगा।
किसी संस्था की अब खैर नहीं
मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ.जोगाराम के अनुसार कोई भी संस्था, दल या व्यक्ति ऐसा करता है तो वह उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अवहेलना की श्रेणी में शामिल होगा और ऐसे प्रसारित विज्ञापनों के विरूद्ध नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी। डॉ. जोगाराम के अनुसार मोबाइल कम्पनियां यह भी सुनिश्चित करें कि किसी अन्य राज्य के माध्यम से टेलीफोन व मोबाइल फोन पर प्रसारित होने वाले विज्ञापन राजस्थान राज्य की सीमा में बिना अधिप्रमाणन के प्रसारित नहीं होने पाएं।
निजी संपत्तियों पर भी नहीं लगा सकेंगे विज्ञापन
इसके अलावा विधानसभा चुनाव के दौरान शहरी क्षेत्रों में स्थित निजी संपत्ति पर विज्ञापन का प्रदर्शन करना प्रतिबंधित रहेगा, लेकिन निजी संपत्ति पर मालिक या अधिभोगी की लिखित स्वीकृति से केवल बैनर व झंडे लगाए जा सकते हैं। अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. जोगाराम ने बताया कि निजी संपत्ति पर झंडे व बैनर लगाने पर मालिक अथवा अधिभोगी की स्वीकृति के बाद लगाए जाने वाले बैनर व झंडे के खर्चे सहित पूर्ण विवरण एवं लिखित सहमति की प्रति संबंधित अभ्यर्थी की ओर से रिटर्निंग अधिकारी को 3 दिन के अंदर प्रस्तुत करनी होगी। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए इस संबंध में कोई कानून नहीं बनाया हुआ है।
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