डूंगरपुर उपद्रव : क्या राजस्थान में उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे पर हिंसा के पीछे नक्सलियों का हाथ है?
उदयपुर। राजस्थान के डूंगरपुर और उदयपुर में हुए उपद्रव के पीछे भाजपा ने नक्सली कनेक्शन का दावा किया है। भाजपा द्वारा हिंसा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी ने उदयपुर में पत्रकार वार्ता की। सोमवार को समिति ने प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के अलावा प्रभावित लोगों से भी मुलाकात की और सामने आए तथ्यों के आधार पर बीटीपी नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए।
एमपी-छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से ट्रेनिंग लेकर आए
भाजपा प्रदेश महामंत्री ने मदन दिलावर ने प्रेस काफ्रेंस में आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के नक्सलियों से ट्रेनिंग लेकर आने वाले लोग स्थानीय भोले-भाले आदिवासियों को भड़काने का काम कर रहे हैं। दिलावर ने बीटीपी प्रदेशाध्यक्ष वेलाराम घोघरा, विधायक राजकुमार रोत, बीटीपी नेता कांतिलाल रोत और डीएस पालीवाल पर नक्सली क्षेत्रों से मुलाकात करने और उन्हें राजस्थान लाकर चिंतन बैठकों के नाम पर लोगों की मानसिकता बदलने के आरोप लगाए।
आईपीएस-आरएएस पर भी आरोप लगाए
मदन दिलावर ने इस आंदोलन में मुख्य रूप से धार्मान्तरण कर ईसाई बनने वाले लोग और देश के प्रति आस्था नहीं रखने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों को जिम्मेदार बताया। यहीं नहीं बल्कि दिलावर ने बताया कि स्थानीय लोगों ने आईपीएस और आरएएस अधिकारियों के नाम लेकर भी आरोप लगाए हैं। दिलावर ने आईपीएस कालूराम रावत, आरएएस महावीर खराड़ी का नाम लेकर ऐसे आन्दोलनों के लिए फंड जमा कराने के आरोप लगाए हैं। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर भी निशान साधा।
सरकार पर भी साधा निशाना
दिलावर ने कहा कि हाल ही में बीटीपी विधायकों ने सरकार को बचाया है। शायद यही वजह है कि सरकार ने आन्दोलन को रोकने के लिए किसी तरह की सख्ती नहीं बरती है। मदन दिलावर ने बीटीपी के लोगों की कॉल डिटेल और सम्पत्ति की जांच विशेष एजेंसी से कराने की मांग की है, जिससे राजस्थान के आदिवासी अंचल में पनप रही अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों को रोकने में सफलता मिल सके।
डूंगरपुर उपद्रव 2020 में जानिए कब क्या हुआ?
-राजस्थान शिक्षक भर्ती 2018 की अनारक्षित वर्ग की 1167 सीटों को जनजाति वर्ग से भरने के लिए 7 सितम्बर 2020 को डूंगरपुर की कांकरी डूंगरी पर महापड़ाव शुरू किया।
-करीब दो सौ से ज्यादा अभ्यर्थी पहाड़ी पर धरना देकर बैठे रहे।
-डूंगरपुर जिला प्रशासन ने धरनार्थियों को यहां से हटने के लिए नोटिस भी जारी किया।
-14
सितम्बर
को
उच्च
स्तरीय
समिति
की
बैठक
प्रस्तावित
थी,
लेकिन
निरस्त
हो
गई।
इसी
दिन
चौरासी
विधायक
राजकुमार
रोत
भी
धरने
में
शामिल
हुए।
-
इसके
बाद
से
लगातार
महापड़ाव
स्थल
से
हाईवे
जाम
की
चेतावनी
दी
जा
रही
थी।
-डूंगरपुर, उदयपुर और प्रतापगढ़ आदि जगहों से बड़ी संख्या में युवा महापड़ाव स्थल पर पहुंचते रहे।
-24
सितम्बर
की
दोपहर
को
युवाओं
की
भीड़
कांकरी
डूंगरी
पहाड़ी
से
नीचे
उदयपुर-अहमदाबाद
हाईवे
पर
उतरी
और
हिंसा
करने
लगी।
-पथराव
में
35
पुलिसकर्मी
घायल
हो
गए।
होटलों,
घरों
व
वाहनों
में
जमकर
तोड़फोड़
की
गई।
-सुप्रीम
कोर्ट
में
एसएलपी
दायर
करने
की
बात
पर
प्रदर्शनकारी
शांत
हुए
और
72
घंटे
बाद
27
सितम्बर
की
शाम
से
उदयपुर-अहमदाबाद
हाईवे
खुला।