Rajasthan: 12वीं बोर्ड में किसान की बेटी लाई 98.80 फीसदी अंक, शिक्षा मंत्री ने फोन करके दी बधाई
Dausa news in Hindi, दौसा। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बुधवार को 12वीं कला संकाय का परिणाम घोषित कर दिया। दौसा के किसान की बेटी पायल शर्मा ने 98.80 फीसदी अंक हासिल किए हैं।
शिक्षा राज्यमंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने पायल को फोन करके बधाई दी। पायल शर्मा लालसोट उपखंड के सवांसा गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की छात्रा है। हर बार की तरह इस बार भी बोर्ड ने वरियता सूची जारी नहीं की। अंकों के आधार पर बताया जा रहा है कि पायल राजस्थान में दूसरे स्थान पर रही है। पहले स्थान पर श्रीगंगानगर की छात्रा गीता जयपाल को माना है। श्रीगंगानगर के श्रीकरणपुर ब्लॉक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जोरावरसिंहपुरा की छात्रा गीता जयपाल पुत्री मंगलाराम ने 99.40 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं।
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राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बुधवार शाम को 12वीं कला का परिणाम घोषित कर दिया है। कुल 5 लाख 47 हजार में से 90.81 फीसदी छात्राएं और 85.41 फीसदी छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। इनमें से एक लाख 54 हजार 49 परीक्षार्थियों ने प्रथम श्रेणी प्राप्त की। 93.15 प्रतिशत रिजल्ट के साथ सिरोही जिला राजस्थान में प्रथम रहा है। 92.62 प्रतिशत के भीलवाड़ा और 91.59 के साथ जोधपुर जिले ने तीसरा स्थान हासिल किया।
इधर,
सीकर
जिले
में
दो
छात्राओं
के
नाम
एक
अनूठा
रिकॉर्ड
दर्ज
हो
गया।
दोनों
सहेली
हैं
और
दोनों
के
हर
कक्षा
में
समान
ही
नंबर
आ
रहे
हैं।
इस
बार
12वीं
आटर्स
में
भी
ऐसा
ही
हुआ
है।
सीकर
में
पलवास
रोड
स्थित
प्रिंस
स्कूल
की
छात्रा
ने
सावित्री
कंवर
व
रजनी
ने
बुधवार
को
घोषित
रिजल्ट
में
98.40
फीसदी
अंक
हासिल
किए
है।
दोनों
का
ही
ख्वाब
आईएएस
बनना
है।
इन्होंने
दसवीं
बोर्ड
में
94-94
फीसदी
नम्बर
प्राप्त
किए
थे।
तीन
विषयों
में
100
से
में
100
नंबर
सीकर
की
सावित्री
व
रजनी
की
दोस्ती
न
केवल
कुल
प्राप्तांक
में
दिख
रही
बल्कि
विषयवार
नंबर
भी
समान
हैं।
सावित्री-रजनी
ने
भूगोल,
गणित
व
अर्थशास्त्र
में
100
में
से
100
अंक
पाए
हैं।
वहीं
रजनी-सावित्री
ने
हिंदी
में
95
व
अंग्रेजी
में
97
अंक
आए
हैं।
प्रिंस
स्कूल
के
मुख्य
प्रबंध
निदेशक
राजेश
ढिल्लन
ने
बताया
कि
फरवरी
में
छात्रा
रजनी
बीमार
हो
गई
थी,
लेकिन
उनके
पढ़ाई
को
लेकर
अपना
हौसला
बनाए
रखा।
सहेली
सावित्री
की
देखभाल
करने
के
साथ
उसके
तैयारी
करवाने
में
मदद
करती
थी।
पढ़ाई
को
लेकर
दोनों
सहेलियों
का
अनुशासन
इस
कदर
था
कि
ये
सालभर
में
महज
तीन
बार
घर
गई
थी।