बहन-बेटियों के कंधों पर दुनिया से विदा हुए दिनेश भट्ट, पुरानी परम्पराएं तोड़ मोक्षधाम पहुंचीं महिलाएं
भीलवाड़ा। कोई बेटा नहीं था। बेटियां ही उम्रभर बेटों का भी फर्ज निभाती रही। और पिता जब दुनिया से रुखसत हुए तब भी कंधा बेटियां व बहनों का ही था। यह नजारा देख हर कोई आंसू नहीं रोक पाया।
ऐसा उदाहरण सोमवार को राजस्थान के भीलवाड़ा शहर के आरसी व्यास कॉलोनी में देखने को मिला। जहां निवास करने वाले दिनेश भट्ट के असामायिक निधन पर उनके बेटे नहीं होने के कारण दोनो बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाते हुए ना केवल कंधा दिया बल्कि उनकी चिता को मुखाग्नि भी दी। बेटियां ही नहीं बल्कि उनकी बहनों ने भी कंधा दिया।
बता दें कि आरसी व्यास में रहने वाले दिनेश भट्ट की दो बेटियां दिशी और भव्यता हैं। भट्ट की लम्बी बिमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया था। जिस पर भट्ट के बेटा नहीं होने के कारण बेटियां दिशी और भव्यता ने ही उन्हें मुखाग्नि देने का निर्णय किया।
बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को घर से लेकर मोक्षधाम तक कंधा दिया। उसके बाद अपने पिता को मुखाग्नि भी देकर अपना धर्म निभाया। यही नहीं दिवंगत दिनेश की दोनों बहनें रेणू और मधु ने भी पुरानी सामाजिक परंपरा को दरकिनार कर भाई की अर्थी को कंधा दिया।
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