शहीद दीपचंद वर्मा सीकर : मां को फोन पर कहा-'11 जुलाई को आऊंगा घर', आज तिरंगे में लिपटकर आएंगे
सीकर। 'मां छुट्टी स्वीकृत हो गई...। 11 जुलाई को आऊंगा...। अजमेर से बच्चों को लेकर घर भी आने का प्रोग्राम है...' कुछ इसी तरह की बातचीत शहीद दीपचंद वर्मा की अपनी मां प्रभाति देवी के साथ फोन पर हुई थी। बहादुर बेटा अपने वादे से भी 10 दिन पहले घर तो आ रहा है, मगर तिरंगे में लिपटकर।
आतंकी हमले में शहीद हुए दीपचंद वर्मा
जम्मू कश्मीर के सोपाेर इलाके में बुधवार सुबह हुए आतंकी हमले में शहीद दीपचंद वर्मा राजस्थान के सीकर जिले के गांव बावड़ी के रहने वाले थे। सीआरपीएफ 179 बटालियन के हैड कांस्टेबल दीपचंद वर्मा मॉडल टाउन चौक पर गाड़ियों से उतरकर पेट्रोलिंग कर रहे थे। इसी दौरान पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने हमला कर दिया, जिससे दीपचंद वर्मा शहीद हो गए थे।
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आज होगा अंतिम संस्कार
जानकारी के अनुसार शहीद दीपचंद वर्मा की पार्थिव देह गुरुवार को जम्मू कश्मीर से हवाई मार्ग से दिल्ली पहुंचेगी। फिर यहां से सड़क मार्ग के जरिए सीकर-जयपुर रोड स्थित गांव बावड़ी लाई जाएगी। गांव में संभवतया गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। अगर पार्थिव देह पहुंचने में देरी होती है तो अंतिम संस्कार शुक्रवार को होगा।
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मां नरेगा मजदूर, पिता की दो साल पहले मौत
शहीद दीपचंद वर्मा की मां प्रभाति देवी मनरेगा में मजूदरी करती हैं। बुधवार को बेटा शहीद हुआ तब भी प्रभाति मनरेगा में मजदूरी करने के लिए गई हुई थीं। शहीद के भाई सुनील ने बताया कि मां को मनरेगा में काम करने से भाई दीपचंद भी खूब मना किया करते थे, मगर वो मानती ही नहीं। मां कहती हैं कि दिनभर घर पर बैठकर क्या करूं। इसलिए मनरेगा में काम कर लेती हूं।
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पत्नी व बच्चे अमजेर में रह रहे हैं
बता दें कि शहीद दीपचंद की शादी वर्ष 2004 में सरोज देवी के साथ हुई थी। इनके पांच साल के दो जुड़वा बेटे विनय और विनित व नौ साल की बेटी कुसुम है। पत्नी व बच्चे अजमेर स्थित सीआरपीएफ के क्वार्टर में रह रहे हैं। मंगलवार को दीपचंद की अपनी मां व पत्नी से बात हुई थी। मां को उन्होंने बताया था कि 11 जुलाई को आएंगे और अजमेर से बच्चों को लेकर घर गांव बावड़ी भी आएंगे।
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