अनूठी कहानी : कोच अनाथचंद्र बैरागी ने खुद की जिंदगी दांव पर लगाकर बचाई महिला खिलाड़ी सरस्वती की जान
सीकर। यह गुरु शिष्य के रिश्ते की अनूठी कहानी है। शिष्य की जान बचाने के लिए गुरु ने खुद की जिंदगी दांव पर लगा दी। अपनी शिष्या महिला खिलाड़ी को किडनी दान करके जीवनदान देने वाले कोच अनाथचंद्र बैरागी मूलरूप से पश्चिम बंगाल के सिंघी गांव के रहने वाले हैं। वर्तमान में राजस्थान के सीकर में रहकर यहां के जिला खेल स्टेडियम में खिलाड़ियों को निशुल्क ट्रेनिंग दे रहे हैं।
बचपन में माता-पिता को खो दिया
पूरी कहानी ये है कि पश्चिम बंगाल के सिंघी गांव के सचिन ने बचपन में माता-पिता को खो दिया था। अनाथ हो गए थे। गांव के पार्षद व पड़ोसियों ने सचिन को पाल पोसकर बढ़ा किया। बड़ा होने के बाद लोगों ने इनका नाम सचिन से बदलकर अनाथचंद्र बैरागी रख दिया।
अनाथचंद्र कोलकाता से सीकर शिफ्ट हो गए
अनाथचंद्र कोलकाता हैल्थ एंड हैप्पीनेस काउंसलिंग आफ इंडिया से जुड़े होने के कारण सीकर निवासी कॉर्डिनेटर श्रीराम पिलानिया से मेलजोल बढ़ा। कुछ समय बाद अनाथचंद्र कोलकाता से सीकर शिफ्ट हो गए। फिलहाल सीकर में वे दस जरूरतमंद बेटियों को दौड़ और एथलेक्टिस की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इसके लिए व्यवस्था कॉर्डिनेटर श्रीराम पिलानिया ने कर रखी है।
सरस्वती की दोनों किडनी डेमेज हो गई
50 वर्षीय अनाथचंद्र को वर्ष 2003 में पता चला कि उनसे कोचिंग ले रही खिलाड़ी सरस्वती की दोनों किडनी डेमेज हो गई हैं और उसके पिता भी नहीं हैं। डॉक्टर से बातचीत की तो पता चला कि जीने के लिए अनाथचंद्र को एक किडनी की जरूरत है। ऐसे में उन्होंने बिना समय गंवाए एक किडनी अपनी शिष्या सरस्वती को डोनेट कर दी। आज सरस्वती और अनाथचंद्र एक-एक किडनी से सामान्य जिंदगी जी रहे हैं।