राजस्थान न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

OMG: यहां 8 गांवों के 500 परिवारों ने गिरवी रख दिए बच्चे, कीमत वसूली डेढ़ से दो हजार रुपए

By राजेश सोनी
Google Oneindia News

बांसवाड़ा (राजस्थान) खबर का शीर्षक बेहद चौंका देने वाला है। कोई कैसे अपने जिगर के टुकड़ों को किसी और के पास गिरवी रख सकता है। वो महज डेढ़ से दो हजार रुपए के लिए। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि राजस्थान के बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ जिले की सीमा से सटे आदिवासी बाहुल्य गांवों की सबसे कड़वी हकीकत है।

Children pledged in Banswara and Pratapgarh district of Rajasthan

यहां एक नहीं बल्कि पूरे 8 गांवों में लगभग 500 परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने कभी ना कभी अपने बच्चों को गड़रियों के पास गिरवी रखा है। करीब 22 बच्चे अभी भी गिरवी रखे हुए बताए जा रहे हैं। वन इंडिया खुद इस बात का दावा नहीं कर रहा बल्कि यह चौंका देने वाला मीडिया रिपोर्टर्स में हुआ है। अब इस मामले में शुक्रवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले में प्रसंज्ञान लिया है।

इन जगहों पर​ गिरवी रखे जाते हैं बच्चे

इन जगहों पर​ गिरवी रखे जाते हैं बच्चे

बताया जाता है कि इन आदिवासी परिवारों के आर्थिक हालत ठीक नहीं हैं। ऐसे में ये बच्चों के दो वक्त की रोटी की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं। इसलिए बच्चों को गड़रियों के पास गिरवी रख देते हैं ताकि बच्चों को रोजगार मिल जाए तो परिवार को आर्थिक मदद। ऐसे मामले बांसवाड़ा जिले के गांव चुंडई, बोरतलाब व मेमखोर और प्रतापगढ़ जिले के गांव भैंठेसला, बावड़ीखेड़ा, कटारों का खेड़ा, लिम्बोदी, अंबाघाटी आदि में सामने आए हैं।

पिता समेत तीन आरोपी गिरफ्तार

पिता समेत तीन आरोपी गिरफ्तार

मासूम बच्चों को गिरवी रखने के आरोप में शुक्रवार को पिता सहित तीन आरोपियों को खमेरा थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मध्य प्रदेश के धार जिले से मासूम बच्चे को भी बरामद कर लिया है। जिसे बांसवाड़ा बाल कल्याण समिति को सूचित कर दिया है। वहीं एक दलाल मासूम बच्चे का पिता व गडरिया को खमेरा थाना पुलि हिरासत में लेकर पूछताछ में जुटी हुई है। प्रथम दृष्टया इस मासूम बच्चे को करीब 30 हजार रुपए में गिरवी रखा गया था। यह मासूम बच्चा खमेरा थाना क्षेत्र के चुंडाई गांव का रहने वाला है।इसका नाम राजू है। आरोपी पिता मोहन चारेल एवं एक गडरिया है, जो पाली जिले का रहने वाला है उसे भी पुलिस गिरफ्तार करके पूछताछ कर रही है।

इन जगहों से आते गडरिए

राजस्थान कृषि आधारित और पशुपालन प्रधान प्रदेश है। यहां का अधिकांश हिस्सा बरसाती पानी पर निर्भर रहता है। पाली, सिराेही, जैसलमेर, जाेधपुर आदि क्षेत्रों की तुलना में बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ में चारा अधिक मात्रा में उपलब्ध है। यहां बारिश भी अधिक होती है। ऐसे में उनके जिलों में चारा की उपलब्धता कम हो जाने पर गडरिए अपने एक हजार से अधिक पशु जिनमें भेड़, बकरी, ऊंट आदि लेकर बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ की तरफ आ जाते हैं।

जानिए क्या कहते हैं बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष

जानिए क्या कहते हैं बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष

मासूम बच्चों को गिरवी रखने के मामले पर बांसवाड़ा के बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष हरीश त्रिवेदी ने बताया कि मासूम बच्चों को गरीबी अशिक्षा अज्ञानता के कारण परिवार वाले मासूम बच्चों को गडरिया के पास में गिरवी रखकर अपना काम निकाल लेते हैं। यह जनजातीय क्षेत्र है। यहां लोगों में समझ नहीं है और बच्च गलत आदतें ग्रहण करते हैं। घर पर रहते हैं। स्कूल नहीं जाते हैं। बिगड़ जाते हैं। यह भी एक दूसरा कारण है जिसके चलते परिजन परेशान होकर गडरिया को सुपर्द कर देते हैं। और उसके बदले जो रुपए मिलते हैं उससे उनके परिवार का गुजारा करते हैं।

जिसे सब समझते थे 'भाई' वो ही निकला प्रेमी, 'बहन' की शादी के 1 माह बाद उसे रात को खेत में ले गया...फिरजिसे सब समझते थे 'भाई' वो ही निकला प्रेमी, 'बहन' की शादी के 1 माह बाद उसे रात को खेत में ले गया...फिर

Comments
English summary
Children pledged in Banswara and Pratapgarh district of Rajasthan
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X