राजस्थान बॉर्डर पर BSF के जवानों की तापमान से जंग, 50 डिग्री में सीमा पर हो जाते हैं ऐसे हालात
जैसलमेर। राजस्थान का रेगिस्तान पिछले कई दिनों से भट्टी की तरह तप रहा है। आसमान से बरस रही आग के बीच रेत के टीले अंगारों के समान दहक रहे हैं। पश्चिमी राजस्थान में दिन चढ़ने के साथ-साथ तेजी से तापमान बढ़ता जा रहा है और दोपहर तक 50 डिग्री को छू रहा है।
सुबह 11 बजे बाद घर से बाहर निकलना मुश्किल
ऐसी भीषण गर्मी में भी सेना के जवान देश की रक्षा के लिए रेगिस्तान में बॉर्डर के किनारे खड़े हैं। पाकिस्तान से सटे राजस्थान के जैसलमेर में हालात यह हैं कि सुबह 11 बजे के बाद घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। पाक सीमा से सटी बीएसएफ की जैसलमेर जिले में स्थित मुरार चौकी, शाहगढ़ बल्ज और तनोट सीमा चौकियों पर सोमवार दोपहर में तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया। झुलसा देने वाली भीषण गर्मी के बावजूद बीएसएफ के जवान मुस्तैदी के साथ सीमा पर चौकसी के लिए सर्तक हैं।
रेत पर तुरंत सिक जाता है पापड़
बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से तापमान 40 से 45 डिग्री तक पहुंच रहा है। कई बार तो 49 डिग्री को भी पार कर जाता है। रेत के टीले इतने गर्म हो जाते हैं कि उन पर आसानी से पापड़ सेंका जा सकता है। आमलेट बनाई जा सकती है। पिछले साल मुरार सीमा चौकी पर जवानों ने लगातार दो दिन तक रेत पर पापड़ सेंके थे। बीएसफ अधिकारियों का कहना है कि मई और जून माह हर साल गर्म रहते हैं। ऐसे में जवान पहले से ही तैयार रहते हैं।
20 जवानों को काट चुके हैं रेतीले सांप
गर्मी चाहे कितनी भी हो। गश्त हमेशा जारी रहती है। 24 से 30 किमीमीटर प्रतिघंटा की गति से चलती गर्म हवाएं और आसमान छूता तापमान शरीर की क्रियांए धीमी कर देता है। नाक से खून आना, चक्कर आना, उल्टी-दस्त आम बात है। रेगिस्तानी इलाके में सांप और बिच्छू का खतरा भी हमेशा बना रहता है। पिछले दो साल में 20 जवानों को सांप काट चुका है। वहीं, गर्म रेत के कारण जूते भी पिघलने लगते हैं।
गाड़ी रेत में फंसने पर बढ़ जाती है दिक्कत
शनिवार को जैसलमेर में ताममान 45 डिग्री था। उसी के साथ कई जग़ह आंधी भी चली। जैसलमेर सीमा पर पूरे देश में अधिकतम तापमान से थोड़ा सा ही कम था। ऐसे विषम हालात में भी बीएसएफ के जवान मुश्तैदी से डटे हुए हैं। सीमा चैकियों पर लगे तापमानी यंत्रों में कभी-कभी तो पारा 50 डिग्री के पार चला जाता है, लेकिन सभी तकलीफों के बावजूद बीएसएफ के जवान मुस्तैदी से सीमा की रक्षा कर रहे हैं। किशनगढ़ बल्ज व शाहगढ़ बल्ज की कई सीमा चैकियों के दौरे के दौरान ये जवान हाथों में बंदूक थामे और सिर पर टोपी पहले गश्त लगाते नजर आते हैं। हालात और तब बिगड़ जाते हैं जब इनकी गाड़ियां रेत में फंस जाती हैं।
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